Tuesday, September 16, 2025
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अब खेतों में कब और कितनी सिंचाई करनी है, बताएगी स्मार्ट डिवाइस; छात्रों की अनोखी खोज


खेती में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है – सही समय पर और सही मात्रा में सिंचाई करना. अगर समय से पानी नहीं मिला तो फसल खराब हो सकती है, और जरूरत से ज्यादा पानी देने पर भी नुकसान होता है. लेकिन अब किसानों की यह परेशानी दूर होने जा रही है. एसएनजीआईटीएस (SNGITS) के छात्रों ने एक ऐसी स्मार्ट डिवाइस तैयार की है जो मिट्टी की नमी के स्तर को रीयल टाइम में मापकर यह बताएगी कि खेत को कब और कितने पानी की जरूरत है.

30% तक पानी की होगी बचत

इस डिवाइस की खास बात यह है कि इसके जरिए किसान न सिर्फ सिंचाई का सही समय जान सकेंगे, बल्कि पानी की बचत भी कर पाएंगे. प्रोजेक्ट की मेंटर और कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. सुभीता शर्मा ने बताया कि शुरुआती परीक्षणों में यह सामने आया है कि इस डिवाइस के उपयोग से सिंचाई में 30 प्रतिशत तक पानी की बचत हो सकती है. आज के समय में जब जल संकट बढ़ता जा रहा है, यह डिवाइस किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है.

रीयल टाइम डेटा से करेगी काम

डिवाइस की टीम में शामिल छात्राओं ने बताया कि उन्होंने इस सिस्टम को खासतौर पर भारतीय कृषि प्रणाली को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया है. इसमें मिट्टी में लगे सेंसर लगातार नमी की मात्रा को मापते रहते हैं और यह जानकारी कंप्यूटर या मोबाइल ऐप पर भेजते हैं. जैसे ही मिट्टी की नमी कम होती है, डिवाइस अलर्ट भेजती है और बताती है कि अब सिंचाई जरूरी है. यही नहीं, यह भी बताया जाता है कि कितने समय तक और कितनी मात्रा में पानी देना चाहिए.

तकनीक से खेती को मिलेगी नई दिशा

छात्राओं का यह प्रयास तकनीक को सीधे खेती से जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम है. इस डिवाइस को बनाने में IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसमें माइक्रोकंट्रोलर, सेंसर, वाई-फाई मॉड्यूल और कोडिंग की मदद से एक ऐसा सिस्टम तैयार किया गया है जो पूरी तरह ऑटोमैटिक तरीके से काम करता है.

यह है टीम की खासियत

इस प्रोजेक्ट को बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन) की छात्राएं प्रेरणा, नंदिनी और शिवांगी ने मिलकर बनाया है. इनकी मेंटर डॉ. सुभीता शर्मा ने न केवल तकनीकी मार्गदर्शन दिया बल्कि उन्हें मोटिवेट भी किया कि वे समाज के लिए कुछ उपयोगी बनाएं.

किसानों के लिए मददगार

इस डिवाइस की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे छोटे और मझोले किसान भी आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं. इसकी लागत बेहद कम है और इसे स्मार्टफोन से कनेक्ट किया जा सकता है. यानी जो किसान तकनीक से ज्यादा परिचित नहीं हैं, वे भी इसे बिना किसी परेशानी के इस्तेमाल कर सकेंगे.

सरकार और कृषि संस्थानों का सहयोग जरूरी

छात्राओं का कहना है कि अगर सरकार और कृषि विभाग इस तकनीक को बड़े स्तर पर अपनाने में मदद करें, तो देश के करोड़ों किसानों को लाभ मिल सकता है. इससे न केवल फसल की उपज बढ़ेगी, बल्कि पानी की भी बचत होगी और लागत भी कम आएगी.

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