Thursday, June 19, 2025
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अब बिना मिट्टी के उगेंगे केसर, स्ट्रॉबेरी और ब्लैकबेरी, IIT कानपुर के स्टार्टअप ने रचा इतिहास!



<p style="text-align: justify;">अब वो दिन दूर नहीं जब केसर की खुशबू सिर्फ कश्मीर तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि देश के कोने-कोने में महकेगी. मिट्टी में फसलों की खेती का दौर बदलने जा रहा है. IIT कानपुर के स्टार्टअप ‘एक्वा सिंथेसिस’ ने एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है, जिससे केसर, स्ट्रॉबेरी और ब्लैकबेरी जैसी फसलों को बिना मिट्टी के पानी और तकनीक के सहारे उगाया जा सकेगा.</p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल, स्टार्टअप ने डीप टेक हाइड्रोपोनिक तकनीक के जरिए एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है. जिसमें मिट्टी की बजाय खास तरह की लेयर, पोषक तत्वों से भरपूर पानी और अत्याधुनिक सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है. इस टेक्निक में फसलों की जड़ों तक पोषक तत्व सीधे पानी के माध्यम से पहुंचाए जाते हैं, जिससे पौधे मिट्टी में उगाई गई फसलों की तरह स्वस्थ और समृद्ध बनते हैं.</p>
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<p style="text-align: justify;"><strong>प्रोफेसर ने कही ये बात</strong></p>
<p style="text-align: justify;">आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर इंचार्ज दीपू फिलिप बताते हैं कि इस तकनीक में न सिर्फ मिट्टी की आवश्यकता खत्म हो जाती है, बल्कि पानी की भी भारी बचत होती है. इसमें कोकोपीट और अन्य लेयर का उपयोग कर पौधों की पोषण ज़रूरतें पूरी की जाती हैं. साथ ही रौशनी, तापमान और नमी को नियंत्रित करने के लिए AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), सेंसर और मशीन लर्निंग (ML) का भी इस्तेमाल किया गया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इतना आता है खर्चा</strong></p>
<p style="text-align: justify;">स्मार्ट सेंसर रियल-टाइम में तापमान और नमी को मॉनिटर कर पौधों के लिए अनुकूल माहौल बनाए रखते हैं. देव प्रताप जिन्होंने इस तकनीक को विकसित किया है, बताते हैं कि पहले एक स्क्वायर फीट खेती में करीब 2500 रुपये का खर्च आता था. लेकिन उनकी तकनीक इसे घटाकर महज 700-800 रुपये तक ले आई है.</p>
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<div class="article-footer-left "><strong style="text-align: justify;">कहीं भी अपनाई जा सकती है ये टेक्निक</strong></div>
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<p style="text-align: justify;">सबसे खास बात यह तकनीक घर की छत, कमरे या किसी भी छोटी जगह पर भी अपनाई जा सकती है. इसका पेटेंट भी कराया जा चुका है और यह किसानों के लिए न सिर्फ लागत कम करने का जरिया बनेगी, बल्कि मुनाफा भी कई गुना बढ़ाएगी.</p>
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