हाइलाइट्स
रावण का ये भाई ना केवल बहुत पराक्रमी था बल्कि बहुत अधिक बलशाली भी
युद्ध के दौरान सहस्त्रानन के वार से राम की सेना पैर उखड़ने लगे थे
जब सीता ने राम को युद्ध में अचेत देखा तो वह चंडी बन गईं और बदल गई युद्ध की तस्वीर
रावण के मर्दन के बाद भगवान श्रीराम जब वापस सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे तो उसके कुछ ही समय बाद उन्हें रावण के पराक्रमी भाई सहस्रानन से युद्ध करना पड़ा. उस युद्ध में सहस्रानन ने राम समेत उनकी सेना को छिन्न-भिन्न कर दिया था.
इस प्रसंग का वर्णन अदभुत रामायण में है. ये संस्कृत भाषा में रचित 27 सर्गों का काव्य विशेष है. इस ग्रन्थ के प्रणेता ‘वाल्मीकि’ थे. लेकिन ग्रन्थ की भाषा और रचना से ऐसा प्रतीत होता है कि बाद में ‘अद्भुत रामायण’ की रचना की गई.
क्यों मुस्कुराने लगी थीं सीता
दरअसल राज्याभिषेक होने के उपरांत जब मुनिगण राम के शौर्य की प्रशंसा कर रहे थे तो सीता जी मुस्कुरा उठीं. इस मुस्कुराहट में रहस्य था. जब राम ने सीता जी से हँसने का कारण पूछने पर उन्होंने जो जवाब दिया, उससे श्रीराम को एक और युद्ध की तैयारी करनी पड़ी.

मां सीता को मालूम था कि राम को एक और युद्ध करना पड़ेगा. (news18)
तब सीता ने सहस्रानन का जिक्र किया
सीता ने राम के पूछने पर बताया कि आपने केवल ‘दशानन’ (रावण) का वध किया है, लेकिन उसी का भाई सहस्रानन अभी जीवित है. उसकी हार के बाद ही आपकी जीत और शौर्य गाथा का औचित्य सिद्ध हो सकेगा. ये सुनने के बाद श्रीराम ने अपनी चतुरंग सेना सजाई. उनकी इस सेना में विभीषण, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान आदि सभी थे.

रावण के निधन की जानकारी होने के बाद उसका भाई सहस्त्रानन भी युद्ध करने आया. (file photo)
उसे ब्रह्मा से क्या वरदान मिला था
सहस्त्र रावण यानि सहस्त्रानन रावण का बड़ा भाई था. जब रावण छोटा था तब सहस्त्र रावण अपने छोटे भाई रावण से हमेशा झगड़ता रहता था. इससे नाराज होकर रावण की माता देवी कैकशी ने उसे दूर जाने को कहा. तब सहस्त्रानन वहां से चला गया. वह एक ब्रमांड नाम के मायावी ग्रह पर रहने लगा. उसे ब्रह्मा से वरदान था उसे स्त्री अलावा औऱ कोई भी नहीं मार सकता.
राम की बड़ी सेना सहस्रानन से लड़ने पहुंची
उस सेना के साथ उन्होंने समुद्र पार करके सहस्रस्कंध पर चढ़ाई की, जहां सहस्रानन का शासन था. सीता भी इस सेना के साथ थीं. युद्ध स्थल में सहस्रानन ने मात्र एक बाण से ही श्रीराम की समस्त सेना एवं वीरों को अयोध्या में फेंक दिया.
सीता ने काली का रूप धरकर उसे मारा
अद्भुत रामायण कहती है कि रणभूमि में केवल श्रीराम और सीता रह गए. राम अचेत थे. तब सीता जी ने ‘असिता’ अर्थात् काली का रूप धारण किया. और तब सहस्रमुख का वध किया.

अद्भुत रामायण कहती है कि रणभूमि में केवल श्रीराम और सीता रह गए. राम अचेत थे. तब सीता जी ने ‘असिता’ अर्थात् काली का रूप धारण किया. (news18)
कई काव्यग्रंथों ने भी इसकी चर्चा की
हिन्दी में भी इस कथानक को लेकर कई काव्य ग्रंथों की रचना हुई है, जिनका नाम या तो ‘अद्भुत रामायण’ है या ‘जानकीविजय’. 1773 ई. में पण्डित शिवप्रसाद ने, 1786 ई. में राम जी भट्ट ने, 18वीं शताब्दी में बेनीराम ने, 1800 ई. में भवानीलाल ने तथा 1834 ई. में नवलसिंह ने अलग-अलग ‘अद्भुत रामायण’ की रचना की. 1756 ई. में प्रसिद्ध कवि और 1834 ई. में बलदेवदास ने ‘जानकीविजय’ नाम से इस कथानक को अपनी-अपनी रचना का आधार बनाया.

रामायण में बाल्मीकि के कई छंद हैं, जिसमें सीता को बहादुर महिला कहा गया है. (news18)
सीता बहुत बहादुर थीं
उरिया रामायण के अनुसार,रावण का भाई सहस्त्रानन कहीं ज्यादा ताकतवर कहा जाता था, उसने राम के खिलाफ युद्ध में ये दिखाया भी. जिस तरह उसने राम की अयोध्या से आई सेना को छिन्न भिन्न कर दिया. राम को अचेत भी कर दिया.
उससे जाहिर होता है कि उसमें रावण से ज्यादा बल था.तब सीता को काली का रूप धरकर पराक्रम दिखाना पड़ा. रामायण में बाल्मीकि के कई छंद हैं, जिसमें सीता को बहादुर महिला कहा गया है. तेलगू में रामायण कहती है कि सहस्त्रानन या सहस्त्र रावण के खिलाफ जब ये लग रहा था कि राम की सेना के पैर उखड़ चुके हैं तो सीता ने पराक्रम दिखाया. उन्होंने रावण से कहीं ज्यादा ताकतवर उसके भाई सहस्त्रानन के सारे सिर काटकर उसको मार दिया.
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FIRST PUBLISHED : December 29, 2023, 11:23 IST