Sunday, June 29, 2025
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आज हिंदी दिवस पर दें यह दमदार भाषण, जमकर बजेंगी तालियां, करियर न्यूज़


Hindi Diwas Speech : आज 14 सितंबर को देश हिंदी दिवस मना रहा है। दरअसल 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इस दिन का काफी ऐतिहासिक महत्त्व था। ऐसे में हिंदी को बढ़ावा देने के मकसद से सरकार ने यह दिन हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाना तय किया। 1953 में 14 सितंबर को पहला आधिकारिक हिंदी दिवस मनाया गया। हिंदी भाषा भारत के अलग अलग राज्यों के अलग अलग धर्मों, जातियों, संस्कृति, वेशभूषा व खान-पान वाले लोगों को एकता के सूत्र में बांधती है। देश को एक रखती है। इतना ही नहीं हिंदी विदेशों में बसे भारतीयों को आपस में जोड़ने का काम भी करती है। हिंदी अलग अलग क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के दिलों की दूरियों की मिटाती है। हिंदी के बढ़ावा देने के लिहाज से हिंदी दिवस का महत्त्वपूर्ण स्थान है। हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिए इस अवसर पर कई पुरस्कार समारोह आयोजित होते हैं। हिंदी भाषा के क्षेत्र में अहम योगदान करने वालों को सम्मानित किया जाता है।

हिंदी दिवस पर देश भर के विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में हिंदी कविता प्रतियोगिता, वाद-विवाद व भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन, पोस्टर व कला प्रतियोगिता, कविता गोष्ठी आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।हम यहां स्कूली छात्रों की मदद के लिए एक भाषण का उदाहरण दे रहे हैं। स्टूडेंट्स यहां से अपनी स्पीच का आइडिया ले सकते हैं।-

हिंदी दिवस भाषण ( Hindi Diwas Speech )

आदरणीय प्रिंसिपल सर, शिक्षक गण और मेरे प्यारे साथियों…

आज 14 सितबंर का दिन हर भारतवासी, खासतौर पर हिंदीभाषियों के लिए गर्व का दिन है। आज पूरा देश जबरदस्त उत्साह के साथ हिंदी दिवस मना रहा है। आज 14 सितंबर का दिन पूरे देश को एक रखने वाली भाषा हिंदी को समर्पित है। सांस्कृतिक विविधताओं से भरे देश भारत में हिंदी दिवस के दिन की अहमियत बहुत ज्यादा है। भारत के विभिन्न क्षेत्रो में लोगों का खान-पान, रहन-सहन, वेश-भूषा, शारीरिक गठन, यहां तक की विचारधारा भी अलग-अलग प्रकार की है। भारत के विभिन्न भागों में अलग-अलग धर्म हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध, पारसी तथा जैन धर्म के अनुयायी रहते हैं। और ये धर्म विभिन्न जातियों में बंटे हैं। विभिन्न क्षेत्रों के लोग अलग अलग भाषाएं बोलते हैं। धर्म, जाति, भाषा, संस्कृति की इन विविधताओं के फासलों को हिंदी खत्म कर देती है। हिंदी ही है जो अलग अलग क्षेत्रों के लोगों के दिलों की दूरियों को मिटाती है और सभी को एकता के सूत्र में बांधे रखती है। हिंदी भाषा विदेशों में बसे हिंदुस्तानियों को आपस में जोड़ने का काम करती है। कोई भी हिंदुस्तानी जहां भी हो, दूसरे हिंदुस्तानी से हिन्दी भाषा के जरिए ही अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है।

यह भी जानना जरूरी है कि हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है। इसकी शुरुआत कब से हुई। दरअसल 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था। इसी को देखते हुए वर्ष 1953 से 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस मनाया जाने लगा। राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य हिंदी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है। बोलने, लिखने और पढ़ने में ज्यादा से ज्यादा हिंदी का प्रयोग हो, इसे लेकर जागरुकता फैलाना इस दिन का मुख्य मकसद है।

पिछले कुछ वर्षों में हिंदी के विस्तार में टेक्नोलॉजी ने काफी मदद की है। इंटरनेट की वजह से बहुत सारे लोग हिंदी से जुड़ रहे हैं। हिंदी को न केवल अपने देश में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पर्याप्त सम्मान मिलता रहा है। हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। दुनिया के 170 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में हिंदी एक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है। फिजी में तो हिंदी को आधिकारिक दर्जा हासिल है। रूस, अमेरिका के अलावा यूरोपीय देश, एशियाई देश और खाड़ी के मुल्कों में भी इस भाषा का तेजी से विकास हुआ है। अमेरिका, रूस, अफ्रीका, पश्चिम एशिया और अरब मुल्कों में हिंदी फिल्में काफी लोकप्रिय हैं। दुनिया भर में हिंदी की बढ़ती स्वीकार्यता का ही असर है कि विश्व की सबसे प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हिंदी शब्दों की भरमार हो गई है। अच्छा, बड़ा दिन, बच्चा, पंडित, ठग, पापड़, टाइमपास और सूर्य नमस्कार जैसे अनेक हिंदी शब्दों को इसमें सम्मिलित किया जा चुका है।

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आज भारत में डॉक्टरी की पढ़ाई और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में होने लगी है। अदालती कार्यवाही भी हिंदी में होने की बात चल रही है। ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग हिंदी में अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। इंटरनेट पर हिंदी में बने वीडियो करोड़ों लोग देख रहे हैं।

भले ही हमारे देश में हिंदी बोलने वाले लोग सबसे ज्यादा हों, लेकिन यह सच है कि हिंदी आज तक हमारी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी है। इससे महज राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। आज हम हिंदी को मनोरंजन, बाजार, विज्ञापन और वोट मांगने की भाषा तक सिमटता हुआ देख रहे हैं। केंद्र सरकार के कामकाज में हिंदी का प्रयोग काफी कम है। आज हिंदी की चुनौतियां वैसी ही हैं, जैसी कभी संस्कृत के सामने थीं। अंतत संस्कृत लोकजीवन से निर्वासित हो गई और देश देखता रह गया।

आज लोग हिंदी की उपेक्षा कर अपने बच्चों पर अंग्रेजी लाद रहे हैं। साथियों, हमें अंग्रेजी की अवेहलना किए बगैर हिंदी को बढ़ावा देना होगा। हिंदी बोलें, रोजमर्रा के व्यवहारिक जीवन में अमल में लाएं, हिंदी सीखें और सिखाएं।इन्हीं प्रयासों से हिंदी का भविष्य उज्ज्वल होगा। सबसे ज्यादा हिंदी के प्रति अपनी मानसिकता सुधारने की जरूरत है। हमारे न्यायालयों को न्याय हिंदी भाषा में देना चाहिए। दवाओं और डॉक्टरों के पर्चों पर हिंदी दिखनी चाहिए। हिंदी माध्यम स्कूलों में सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के बच्चे नहीं बल्कि समृद्ध लोगों के बच्चे भी दिखने चाहिए। हिंदी को सरोकार, रोजगार और ज्ञान की भाषा बनाना होगा।

धन्यवाद। जय हिंद। जय भारत।



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