Thursday, June 26, 2025
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इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 54% की आई कमी, सरकार का दावा, जानें क्‍या है कारण


नई दिल्‍ली. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, एनसीआर-यूपी और राजस्थान में पराली जलाने की कुल घटनाएं 2022 में 15 सितंबर से 29 अक्टूबर के बीच की समय अवधि में 13,964 से घटकर इस वर्ष 6,391 हो गई हैं. सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं में कमी का श्रेय लगातार समीक्षा और दैनिक निगरानी को दिया है. मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि संबंधित राज्‍यों में पराली जलाने से रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाई गई तो वहीं इस मामले में लगातार प्रतिदिन के आधार पर निगरानी रखी गई.

मंत्रालय के अनुसार, केंद्र ने धान के भूसे के इन-सीटू प्रबंधन की सुविधा के लिए व्यक्तिगत किसानों / कस्टम हायरिंग केंद्रों और सहकारी समितियों द्वारा मशीनों की सब्सिडी वाली खरीद के लिए पंजाब, एनसीआर राज्यों और दिल्ली को फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत लगभग 3,333 करोड़ रुपये जारी किए हैं. साथ ही एक्स-सिटू अनुप्रयोगों को सुविधाजनक बनाने के लिए बेलिंग/रेकिंग मशीनों और उपकरणों के लिए भी. पंजाब में उपलब्ध फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों की कुल संख्या 1,17,672, हरियाणा में – 80,071 और यूपी-एनसीआर में – 7,986 है.

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने किए प्रबंध
सरकार ने कहा कि इसके अतिरिक्त, चालू कटाई के मौसम के दौरान उपलब्धता बढ़ाने के लिए एनसीआर के लिए पंजाब में 23,000 अतिरिक्त सीआरएम मशीनें, हरियाणा में 7,572 और उत्तर प्रदेश में 595 अतिरिक्त सीआरएम मशीनें खरीदने की कार्रवाई चल रही है. यह देखते हुए कि पिछले कुछ दिनों में पंजाब में पराली जलाने के मामले बढ़े हैं, सरकार ने कहा है कि पंजाब और हरियाणा दोनों को एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पूरे राज्य प्रशासनिक तंत्र को सक्रिय करने की सलाह दी है. सरकार ने कहा कि रूपरेखा और कार्य योजनाओं के अनुसार पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए सभी निवारक और सुधारात्मक उपाय किए जाएं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हासिल किए गए लाभ नष्ट न हों और आने वाले दिनों में गति बनी रहे.

पंजाब में बदले हालात, बीते दो सालों की तुलना में बड़ी कमी देखी गई 
पंजाब में, उपरोक्त 45 दिनों के दौरान पराली जलाने की घटनाएँ 5,254 थीं, जबकि 2022 में 12,112 और 2021 में 9,001 थीं. मंत्रालय ने कहा, कि उन 45 दिनों के दौरान राज्य में खेतों में आग लगने की घटनाएँ क्रमशः 2022 और 2021 में इसी अवधि की तुलना में 56.6 प्रतिशत और 41.6 प्रतिशत कम हैं.
सरकार ने कहा, “पंजाब में, इन 45 दिनों की अवधि के दौरान, इस वर्ष के दौरान एक दिन में सबसे अधिक आग लगने की घटनाएं 29 अक्टूबर को यानी 1,068 दर्ज की गईं, जबकि 2022 में 28 अक्टूबर को 2,067 और 2021 में 29 अक्टूबर को 1,353 घटनाएं दर्ज की गईं.” अमृतसर (1,060), तरनतारन (646), पटियाला (614), संगरूर (564) और फिरोजपुर (517) ऐसे जिले हैं जहां चालू वर्ष में अब तक सबसे अधिक पराली जलाने का पता चला है.

इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 54% की आई कमी, सरकार का दावा, जानें क्‍या है कारण

हरियाणा में भी आई कमी, 5 जिलों में पराली जलने की सूचना 
हरियाणा में, इस साल 15 सितंबर से 29 अक्टूबर के बीच 1,094 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल यह संख्या 1,813 और 2021 में 2,413 थी, यानी पिछले दो वर्षों की तुलना में आग की खेती की घटनाएं 39.7% और 54.7% कम थीं. फतेहाबाद (180), कैथल (151), अंबाला (147), जिंद (132) और कुरूक्षेत्र (120) वे पांच जिले हैं जहां सबसे ज्यादा खेत में आग लगने की सूचना मिली है.

Tags: Central government, Delhi-NCR Pollution, Haryana Farmers, Pollution due to stubble burning, Punjab news, Stubble Burning



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