चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएससी बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) कोर्स करने के लिए धनबाद व आसपास के युवाओं को अब दूसरे शहर या राज्य में नहीं जाना होगा। आईआईटी आईएसएम धनबाद में चार वर्षीय बीएड कोर्स की पढ़ाई शुरू होने जा रही है। आईआईटी धनबाद के बीएससी बीएड कोर्स में 120 सीटें होंगी। इनमें फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित में 40-40 सीटें हैं। सत्र 2025-26 से शुरू हो रही बीएससी बीएड की पढ़ाई शुरू करने के पहले आईआईटी आईएसएम की ओर से विभिन्न प्रक्रियाएं पूरी कर जा रही हैं।
क्वालिटी टीचर तैयार करना फोकस
आईआईटी धनबाद में अब विज्ञान शिक्षक तैयार होंगे। संस्थान का पूरा फोकस गुणवत्तापूर्ण शिक्षक तैयार करना है। 12वीं विज्ञान से पढ़ाई करने वाले अर्हताधारी छात्र-छात्राएं नामांकन ले सकेंगे। जल्द ही नामांकन की प्रक्रिया समेत अन्य मापदंड निर्धारित कर लिया जाएगा।
वर्तमान में धनबाद व बोकारो के किसी भी कॉलेज में बीएससी बीएड की पढ़ाई नहीं हो रही है। ऐसे में आईआईटी धनबाद में इस कोर्स को शुरू करने का लाभ कोयलांचल के छात्र-छात्राओं को मिलेगा। सूत्रों का कहना है कि एनटीए के स्कोर के आधार पर बीएससी बीएड कोर्स में नामांकन प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी है। वर्तमान में आईआईटी भुवनेश्वर, मद्रास व अन्य आईआईटी में भी इस कोर्स को शुरू किया गया है।
क्या है चार वर्षीय बीएससी बीएड कोर्स : यह कोर्स स्नातक दोहरी डिग्री पाठ्यक्रम है। यह चार वर्ष का है। बीएससी बीएड एकीकृत कार्यक्रम छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में कॅरियर के लिए तैयार करने के लिए डिजाइन किया गया है। प्रत्येक वर्ष में दो सेमेस्टर होंगे।
नवोदय विद्यालय बेनागोड़िया के छात्र-छात्राओं ने आईआईटी धनबाद में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया
बीएससी बीएड में फिजिक्स, केमिस्ट्री व गणित की 40-40 सीटें
धनबाद। आईआईटी आईएसएम में मंगलवार को जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) बेनागोड़िया निरसा के 61 छात्र-छात्राएं पहुंचे। आईआईटी धनबाद में छात्र-छात्राओं को विभिन्न कॅरियर की जानकारी मिली। छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रयोगशाला का भ्रमण किया। प्रोफेसर व विशेषज्ञों से बातचीत की। विशेषज्ञों ने एसटीईएम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग व मैथमेटिक्स) व बालिका शिक्षा के फायदे के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में दूसरों की तुलना में नौकरी पाने की अधिक संभावना है। मौके पर प्रो. मधुलिका गुप्ता, प्रो. सुखा रंजन समद्दर मौजूद थे।