स्वीडन की सरकार ने मंगलवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने पिछले साल एक स्थानीय एसएमएस ऑपरेटर को हैक कर करीब 15,000 संदेश भेजे थे, जिनमें कुरान जलाए जाने के बाद बदले की कार्रवाई का आह्वान किया गया था। स्वीडन की सुरक्षा सेवा SAPO ने अपने बयान में कहा, “एक साइबर समूह ने ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड की ओर से एक अभियान चलाने के लिए काम किया।” उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य स्वीडन को इस्लामोफोबिक देश के रूप में बताना और समाज में विभाजन पैदा करना था।
स्वीडन के सरकारी टीवी चैनल SVT ने हैक करके भेजे गए संदेश की तस्वीर जारी की थी। इसमें कहा गया था कि “जिन्होंने कुरान का अपमान किया है, उनको राख में मिला देंगे।” इसमें स्वीडिश नागरिकों को “राक्षस” कहा गया था। यह संदेश अगस्त 2023 में भेजे गए थे, जब कुरान पर हमले की घटनाओं के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन हुए थे।
अल-जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इन विरोधों को पुलिस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत मंजूरी दी थी, जो स्वीडन के संविधान द्वारा संरक्षित है। स्वीडन में ईशनिंदा कानून नहीं हैं, और किसी भी धार्मिक ग्रंथ, जैसे कि कुरान, को जलाने या अपमानित करने पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है। इस घटनाक्रम के बाद स्वीडन ने आतंकवाद अलर्ट बढ़ा दिया था।
वरिष्ठ अभियोजक मट्स लुंगक्विस्ट ने कहा कि चूंकि ये संदिग्ध विदेशी शक्तियों की ओर से काम कर रहे हैं, इसलिए उनके स्वीडन प्रत्यर्पण की संभावना नहीं है। फिर भी, लुंगक्विस्ट ने कहा कि जांच को पूरी तरह समाप्त नहीं किया गया है और इसे भविष्य में फिर से खोला जा सकता है। इस बीच, स्वीडन की खुफिया सेवा ने मई में ईरान पर यह भी आरोप लगाया था कि वह यहूदी या इजरायली हितों को निशाना बनाने के लिए स्वीडन में आपराधिक नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है।
SAPO के एक अधिकारी फ्रेड्रिक हॉलस्ट्रॉम ने बयान में कहा कि “विदेशी शक्तियां” स्वीडन की कमजोरियों का “फायदा” उठा रही हैं और अब आक्रामकता बढ़ने की संभावना है। हालांकि उन्होंने किसी विशेष देश का नाम नहीं लिया। स्वीडन के सरकारी वकीलों ने कहा कि उन्होंने “ईरानी हैकर्स” की पहचान कर ली है, लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकेगी क्योंकि संदिग्धों को स्वीडन में न्याय के कटघरे में लाने की संभावना नहीं है।