सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाने के लिए टीकाकरण बहुत जरूरी है. अगर पशुपालक सही समय पर टीकाकरण कराए तो पशुओं को बीमारियों से तो बचाया भी जा सकता है साथ उनके दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है. टीकाकरण संक्रामक रोगों से जु्ड़े उपचार की लागत को कम करके किसानों के आर्थिक बोझ को कम करने में मदद करता है. साथ ही पशुओं में कई ऐसी बीमारियां ऐसी होती है, जिनका संक्रमण इंसानों में भी फैल जाता है. ऐसे में पशुओं को टीकाकरण के द्वारा बीमारियों का पशुओं से मनुष्यों में संक्रमण को रोका जा सकता है. गौरतलब है कि जूनोटिक शब्द का इस्तेमाल उन बीमारियों के लिए किया जाता है जो मुख्य रूप से जानवरों से इंसानों में फैलती है.
जूनोटिक रोग से बचाव के लिए सरकार अभियान चलाकर मुक्त टीकाकरण कराती है. अगर पशुओं को समय पर टीकाकरण न हो तो कई बार पशु गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. ऐसे में पशुओं की मौत तो होती ही है साथ ही इंसानों में भी रोग का खतरा बना रहता है.
तेजी से फैलता है ये रोग
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के पशुपालन विभाग के डॉक्टर शिवकुमार यादव ने बताया कि सरकार पशुओं को टीकाकरण करने को लेकर काफी गंभीर है. जनवरी और फरवरी महीने में अभियान चलाकर पशुओं को खुरपका और मुंहपका का टीका लगाया जाता है. डॉ शिवकुमार यादव ने कहा कि खुरपका, मुंहपका एक संक्रामक रोग है जो कि तेजी से फैलता है. ऐसे में जरूरी है कि सभी पशुपालक अपने पशुओं को टीकाकरण जरूर कराएं.
खुरपका और मुंहपका के रोग के लक्षण
खुरपका रोग में सबसे पहले पशु के पैर में छाले पड़ते हैं. उसके बाद यह छाले पक कर फूट जाते हैं. फिर पस पड़ने के बाद कई बार इनमें कीड़े तक पड़ जाते हैं. बाद में अगर पशु वहां मुंह लगा दे तो यह बीमारी मुंह तक पहुंच जाती है. फिर मुंह में भी छाले पड़ जाते हैं. ऐसे में पशु चारा खाना छोड़ देता है. डॉ शिवकुमार यादव ने बताया कि यह बीमारी एफएमडी (Foot-and-mouth disease) नाम के वायरस से फैलती है.
कच्चा दूध हो सकता है नुकसानदायक
अगर पशु खुरपका, मुंहपका बीमारी की चपेट में आ जाए तो उसको दूसरे पशुओं से बिल्कुल अलग कर दें. उसका चारा और पानी अलग रखें. बीमार पशु का चारा स्वस्थ पशु को बिल्कुल भी ना दें. क्योंकि यह छुआछूत की बीमारी है जो दूसरे पशुओं को भी चपेट में ले सकती है. इतना ही नहीं अगर दुधारू पशु इस बीमारी की चपेट में आ जाए तो यह वायरस उसके दूध में भी प्रवेश कर जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि बीमार पशु के दूध को उबाल कर ही इस्तेमाल करें. कच्चा दूध नुकसानदायक हो सकता है.
साफ सफाई का रखें ध्यान
खुरपका रोग से बचने का एकमात्र उपाय है कि पशुओं को समय पर FMD का टीकाकरण कर दें. यह टीका 3 ml से 5 ml पशु की चमड़ी में लगाया जाता है. यह टीका साल में एक बार लगने के बाद पशु सुरक्षित हो जाता है. अगर फिर भी यह बीमारी पशु को अपनी चपेट में ले ले तो बेहतर साफ सफाई रखें और पोटेशियम परमैंगनेट नाम की दवा से पशु के पैरों को समय-समय पर धोते रहे पशु जल्द स्वस्थ हो जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : January 18, 2024, 16:34 IST