विश्वा मोडासिया
आनंद: भारतीय समाज-संस्कृति में आयुर्वेद सदियों पुरानी चिकित्सा प्रणाली है. इसमें जड़ी-बूटियों का विशेष महत्व है. कई ऐसे पौधे हैं जिनके चूर्ण, फल, पत्ते आदि से असाध्य से असाध्य बीमारियों के ठीक होने के दावे किए जाते हैं. आज एक ऐसे ही पौधे की चर्चा, जिसके बारे में दावे किए जाते हैं कि कुछ दिनों के नियमित सेवन से बूढ़े व्यक्ति में जवान की तरह ताकत आ जाती है. खास बात यह है कि इस पौधे से अजीब गंध आती है.
इस पौधे को आयुर्वेद में अश्वगंधा कहा जाता है. तमाम तरह की बीमारियों में इसका चूर्ण बहुत कारगर है. इसे जड़ी-बूटी की श्रेणी में रखा गया है. इस पौधे से घोड़े के मूत्र की तरह गंध आती है, इसलिए इसे अश्वगंधा के नाम से जाना जाता है. इसके सेवन से घोड़े जैसी ताकत मिल सकती है. इस पौधे की जड़ और पत्तियों में औषधीय गुण होते हैं.
इस बारे में आणंद स्थित कृषि विशेषज्ञ डॉ. कल्पेशभाई पटेल कहते हैं कि अश्वगंधा की जड़ें और पान आयुर्वेद की दृष्टि से बहुत उपयोगी हैं. इसकी जड़ का चूर्ण बनाया जाता है जबकि इसकी पत्तियां बहुत कड़वी होती हैं. इसकी पत्तियों में मौजूद पोषक तत्व जोड़ों के दर्द, बुखार जैसी समस्याओं में राहत दिलाती हैं. इस औषधीय पौधे की पत्तियों का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है. उनकी सलाह के अनुसार इसका सेवन करने से ज्यादा फायदे होते हैं.
अश्वगंधा का उपयोग
अश्वगंधा के उपयोग के बारे में कृषि वैज्ञानिक डॉ. पटेल ने कहा, “अश्वगंधा की जड़ों से बना चूर्ण बहुत शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि इसमें घोड़े जैसी शक्ति होती है. जो यौन कमजोरी को दूर कर जीवन को स्वस्थ बनाता है. इसके अलावा इस जड़ के चूर्ण के इस्तेमाल से चर्म रोग भी दूर होता है. चूंकि चूर्ण शक्तिशाली होता है इसलिए यह उस व्यक्ति के लिए बहुत उपयोगी साबित होता है जिसके शरीर का विकास नहीं हो रहा होता है.
जिन लोगों को रात में अनिद्रा की समस्या होती है, वो लोग भी इस चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस पौधे की जड़ों के साथ-साथ पत्तियों में औषधीय गुण भी होते हैं. इसकी पत्ती में मेथेफेरिन ए नामक तत्व होता है. जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने के लिए यह तत्व फायदेमंद होता है, इसके अलावा बुखार जैसी समस्याओं में भी यह काम आता है. इस पौधे की पत्तियों का स्वाद थोड़ा कड़वा होता है. इसमें मौजूद मीथेन का स्वाद खराब होता है. हालांकि, यह फायदेमंद भी है.
अश्वगंधा की नई किस्म
कल्पेशभाई पटेल ने बताया कि जब इस पौधे की किस्म की बात आती है तो भारत में खेती की दो किस्मों जवाहर अश्वगंधा 20 और जवाहर अश्वगंधा 134 की सबसे ज्यादा खेती की जाती है. ये दोनों किस्में अधिक लोकप्रिय हैं. हालांकि, 2015 में इसकी नई किस्म गुजरात अश्वगंधा 1 को आणंद के कृषि विश्वविद्यालय से जारी किया गया था. इस किस्म में उत्पादन क्षमता अधिक है. इस किस्म को राष्ट्रीय स्तर पर भी अनुमोदित किया गया है. इस किस्म के बीज विश्वविद्यालय से आसानी से उपलब्ध हैं. अगर कोई अश्वगंधा की खेती के लिए इन बीजों को प्राप्त करना चाहता है, तो वह आनंद कृषि विश्वविद्यालय जा सकता है.
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Tags: Ayurveda Doctors
FIRST PUBLISHED : March 1, 2024, 14:57 IST