जम्मू-कश्मीर में कल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के पहले विधायकों मनोनयन को लेकर भाजपा नेता के बयान से महौल गर्मा गया है। पांच विधायकों के मनोनीत होने से 90 सदस्यों की विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा बढ़कर 48 हो गया है, जिससे एग्जिट पोल्स में बढ़त हासिल करने वाले कांग्रेस और एनसी के गठबंधन के लिए भी चिंता बढ़ गई है। जम्मू-कश्मीर बीजेपी के उपाध्यक्ष सोफी यूसुफ ने सोमवार को यह कहकर प्रदेश की राजनीति के माहौल को गर्मा दिया कि मनोनीत किए गए सारे विधायक भाजपा से ही होंगे। उनके इस बयान पर एनसी कांग्रेसी की तरफ से कहा गया कि यह लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश है।
बिजबेहरा से भाजपा उम्मीदवार यूसुफ ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भाजपा के पांच सदस्यों को विधायक के रूप में नामित करेंगे। यह नामित सभी सदस्य भाजपा से होंगे। सोफी ने पांच सदस्यों के नाम भी बताते हुए कहा कि इन पांचों में से नामित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र में हमारी सरकार है तो हमारे लोग ही नामित किए जाएंगे। हालांकि बीजेपी के मीडिया प्रभारी ने इस मुद्दे पर कहा कि जिन भी लोगों का नामांकन होगा उनके नामों का फैसला उपराज्याल केंद्रीय गृहमंत्रालय से परामर्श के बाद करेंगे।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल कार्यालय नामित किए जाने वाले पांच विधायकों के नाम पर फिलहाल चुप्पी साध रखी है, जबकि राज्य में बीजेपी की विरोधी पार्टियों का कहना है कि उपराज्यपाल को चुनी हुई सरकार की सलाह पर ही विधायकों को नामित करना चाहिए। हालांकि, राजभवन के करीबी भाजपा नेताओं ने कहा कि पांच विधायकों को कुछ दिनों के भीतर नामांकित किया जाएगा और उनके पास पांडिचेरी यूटी की तर्ज पर मतदान का अधिकार होगा, जहां एससी ने नामांकित सदस्यों के मतदान अधिकारों को बरकरार रखा था।
क्यों हो रहा है विधायकों का मनोनयन
2019 में जब जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को पारित किया गया तो उसके अनुसार प्रदेश में सीटों की संख्या को भी परिसीमन के बाद बढ़ा दिया गया। इसी अधिनियम ने उपराज्यपाल को यह शक्ति दी कि वह विधानसभा में पांच सदस्यों को मनोनीत कर सकता है। इनमें दो महिला सदस्य, दो प्रवासी (महिला सहित) नागरिक और एक पीओके से विस्थापित होकर आए व्यक्ति को नामांकित किया जा सकता है ।