सांप का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के बदन में सिहरन होने लगती है. वहीं, अगर सांप सामने आ जाए तो अच्छे-अच्छे लोगों की हालत पतली हो जाती है. आक्रामक होने पर सांप हमला करता है तो डसने पर जहर अपने शिकार के शरीर में छोड़ देता है. ऐसे में अगर व्यक्ति को सही समय पर इलाज ना मिल पाए तो दर्दनाक मौत हो जाती है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आपकी रसोई में एक ऐसी चीज मौजूद है, जो दुनिया के सबसे जहरीले सांप के लिए भी जहर के बराबर होती है. अगर सांप ये चीज पी ले तो उसकी तड़प-तड़पकर दम घुटने से मौत होती है.
रेंगने वाले जीवों में आने वाले सांप मांसाहारी होते हैं. सांप मेंढक, चूहे, पक्षी, छिपकली, अपने से छोटे सांप का शिकार कर पेट भरते हैं. वहीं, प्यास बुझाने के लिए सांप सिर्फ पानी पीते हैं. लेकिन, भारत में सांपों से जुड़ी एक ऐसी परंपरा है, जो पूरी तरह से गलत है. हमारे यहां सदियों से सांपों को दूध पिलाने की प्रथा है. नाग पंचमी पर तो सपेरे सांपों को लेकर गली-गली घूमते हैं और दूध पिलवाते हैं. इससे उन्हें पैसे और अनाज मिलता है. दरअसल, जानकारी की कमी और अजीबोगरीब परंपराओं के कारण भारत में सांप को दूध पिलाना पुण्य माना जाता है. लेकिन, क्या वाकई ऐसा है?
दूध पिलाने पर सांप को क्या नुकसान होता है
विशेषज्ञों के मुताबिक, सांपों को दूध पिलाना सरासर गलत काम है. दरअसल, दूध पीने के कारण सांपों की मौत हो सकती है. सपेरे नाग पंचमी से पहले सांपों के दांत तोड़ने के साथ ही उनकी जहर की ग्रंथि भी निकाल देते हैं. ऐसे में अगर वे आक्रामक होकर किसी पर हमला भी कर देते हैं तो उसे कोई नुकसान नहीं होता है. लेकिन, दांत तोड़ने पर सांप के मुंह में घाव हो जाता है. वहीं, सपेरे नागपंचमी से पहले सांपों को कई दिन भूखा-प्यासा रखते हैं ताकि वे भूख के कारण कुछ भी पी लें. कई दिन से भूखे सांप नागपंचमी पर दिए जाने वाले दूध को पानी समझकर पी लेते हैं. ऐसे में दूध पीने की वजह से मुंह में हुआ घाव ज्यादा खराब हो जाता है. वहीं, दूध पीने से सांप के फेफड़े और आंत भी खराब हो जाते हैं. फिर कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो जाती है.

दूध पीने से सांप के फेफड़े और आंत भी खराब हो जाते हैं. फिर कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो जाती है.
क्यों दूध पीना सांपों के लिए है नुकसानदायक
सर्प विशेषज्ञ डॉ. विशाल पटेल के मुताबिक, सांप ही नहीं किसी भी सरीसृप के लिए दूध नुकसानदायक होता है. उनका कहना है कि सरीसृप ना तो खुद दूध का उत्पादन करते हैं और न ही इनमें दूध को पचाने वाले एंजाइम्स बनते हैं. इसलिए दूध सांपों के लिए फायदेमंद नहीं होता है. अमेरिका के पेनसिल्वेनिया में लेघ यूनिवर्सिटी के डेविड कडल ने 2012 में प्रकाशित एक लेख में कहा कि प्रकृति जीवों में उन्हीं अंगों और रसायनों का निर्माण करती है, जिसकी उनको जरूरत होती है. सांप के आमाशय या आंत में दूध को पचाने वाले रसायन बनते ही नहीं है. ऐसे में सांप दूध पीते ही नहीं हैं.
सांप लचीले गालों के बिना पानी कैसे पीते हैं
डेविड कडल के मुताबिक, लचीले गाल नहीं होने के कारण सांप तरल पदार्थों को मुंह में खींच नहीं सकता. हालांकि, उनके निचले जबड़े से जुडी त्वचा स्पंज की तरह पानी सोखकर मुंह में डालती है. वहीं, दूध एक कोल्याडल सल्यूशन है, जो पानी के मुकाबले काफी गाढ़ा होता है. लेकिन, जब बहुत दिन से भूखा प्यासा सांप डिहाइड्रेशन का शिकार हो रहा होता है तो दूध को भी पानी समझकर पी जाता है. सांप के मुंह के क्यू क्लिप के बीच एक नली का खुला सिरा होता है. यह ग्लोटिस होता है. नली को ट्रैकिया या विंड़ पाइप या सांस नली कहते हैं. ग्लोटिस निचले जबड़े में सबसे आगे की ओर खुलता है और जबड़े बंद होने पर खिंचकर बाहर तक पहुंच जाता है.

सांप जब दूध को सांस के साथ खींचता है तो वो उसके फेफड़ों में पहुंच जाता है. इससे सांप को निमोनिया हो जाता है.
कैसे दूध पीने से घुटता है सांपों का दम
ट्रैकिया सांप के हृदय के पास पहुचकर दो हिस्सों में बंट जाती है. दोनों भाग फेफड़ों से जुड़े रहते हैं. बायां फेफड़ा छोटा और अविकसित होता है. वहीं, दाहिना फेफड़ा पूरी तरह से विकसित और लंबा होता है. इसका हृदय की तरफ का हिस्सा सांस लेने में भाग लेता है, जबकि पीछे वाला हिस्सा गुब्बारे जैसा होता है, जिसमें हवा भरी रहती है, लेकिन उसमें स्वसन नहीं होता है. वायु इसी क्रम में फेफड़ों में आती है और इसके उलटे क्रम में बाहर जाती है. जीव विज्ञान के सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर असीम कुमार कोरा में दिए जवाब में बताते हैं कि जब सपेरा सांप के मुंह को दूध के बरतन में डालता है तो सांस खींचने के साथ दूध उसके फेफड़ों में भर जाता है. इससे उसे निमोनिया हो जाता है और दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है.
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FIRST PUBLISHED : January 16, 2024, 21:42 IST