Thursday, June 26, 2025
Google search engine
Homeदेशजिला जजों की नियुक्ति को लेकर CJI चंद्रचूड़ का बड़ा बयान, इंटरव्‍यू...

जिला जजों की नियुक्ति को लेकर CJI चंद्रचूड़ का बड़ा बयान, इंटरव्‍यू में 50% अंक हों जरूरी, नहीं तो…


नई दिल्‍ली. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने जिला जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्‍पणी के दौरान एक बड़ा बयान दिया. लाइव लॉ वेबसाइट की खबर के मुताबिक सीजेआई ने कहा कि जिला न्यायपालिका सामान्यता की एक बड़ी समस्या का सामना कर रही है. इस बात पर जोर देते हुए कि उचित तरीके से जिला जजों की नियुक्ति होनी चाहिए, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि न्यायपालिका में अच्छे लोग हों, सीजेआई ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को प्रथम दृष्टया मंजूरी दी. इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि न्यायिक अधिकारियों को जिला जज के तौर पर पदोन्नति के लिए इंटरव्‍यू में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने चाहिए.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने मौखिक टिप्‍पणी में कहा, “जिला न्यायपालिका के सामने एक बड़ी समस्या औसत दर्जे की है और अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो जो कुछ भी होता है वैसा ही होता रहेगा. इसे हाईकोर्ट में दोहराया जाएगा. सभी की वरिष्ठता के आधार पर नियुक्त करें तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा अच्छे लोग आगे जाएं. अच्छा करने के लिए प्रोत्साहन हाईकोर्ट में नियुक्तियों में भी शामिल होना चाहिए.

न्यायपालिका कब बदलेगी?
सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में सीजेआई के अलावा न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. वो पिछले महीने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हरियाणा सरकार को अतिरिक्त जिला और सेशन जज के पद के लिए 13 न्यायिक नियुक्तियों पर हाईकोर्ट की सिफारिशों को स्वीकार करने का निर्देश दिया गया था.

जज ने क्‍यों कि मामले की सुनवाई?
कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि फैसला सुनाने वाली बेंच के न्‍यायाधीश ने अपनी प्रशासनिक क्षमता में नियुक्तियों के मामले को भी निपटाया था. यह कंफ्लिक्‍ट ऑफ इंट्रस्‍ट का मामला है. रोहतगी ने कहा, इसलिए, न्यायाधीश को न्यायिक पक्ष में मामले की सुनवाई से अलग हो जाना चाहिए. राज्य की ओर से पेश भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस तर्क का समर्थन करते हुए कहा कि न्यायाधीश को किसी के अनुरोध का इंतजार किए बिना भी स्वेच्छा से मामले से हट जाना चाहिए था.

50 प्रतिशत का कट ऑफ…
मामले में उठाया गया कानूनी मुद्दा यह था कि क्या हाईकोर्ट राज्य सरकार के परामर्श से नियमों में संशोधन किए बिना मौखिक परीक्षा में 50% की कट-ऑफ निर्धारित कर सकता था. वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने पीठ को बताया कि यह कट-ऑफ केवल 65% पदोन्नति कोटा में लागू किया गया था, न कि सीधी भर्ती या सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से भर्ती के लिए.

CJI ने पूछा- किसी का इंटरव्‍यू खराब जाए तो
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि ऐसे उदाहरण हैं जब उम्मीदवार लिखित परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं और फिर वे साक्षात्कार में बहुत खराब प्रदर्शन करते हैं. “यह एक अस्थायी विचार है. जो लोग लिखित (परीक्षा) में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, साक्षात्कार में उनका प्रदर्शन एक दम विपरीत रहता है. जब आप उनका साक्षात्कार लेते हैं, तो वे कहीं नहीं होते. कोई व्यक्ति जिसे लिखित में 70/75 या 65/75 मिलता है और साक्षात्कार में 5/25 मिलता है… आप साक्षात्कार शुरू करते हैं और महसूस करते हैं कि वह व्यक्ति कुछ भी नहीं जानता है…”,

Tags: Chief Justice of India, CJI, Justice DY Chandrachud



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments