Monday, February 24, 2025
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जेलेंस्की के कंधे पर हाथ और सामने जंग की भयावह तस्वीर, PM मोदी के फोटो में छिपे क्या संदेश?


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन के एक दिन के दौरे पर कीव पहुंचे हैं। वहां पहुंचने पर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने गर्मजोशी से प्रधानमंत्री मोदी की स्वागत किया। इस दौरान दोनों नेताओं ने पहले हाथ मिलाए फिर एक-दूसरे को गले लगाया। इसके बाद दोनों नेता यूक्रेन नेशनल म्यूजियम पहुंचे, जहां उन्होंने जंग में मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान दीवार पर यूक्रेन जंग की तबाही की तस्वीर लगी थी, जिसे देख पीएम मोदी भी भावुक नजर आए। उन्होंने तब अपने साथ चल रहे यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें सांत्वना और हिम्मत देने की कोशिश की।

कूटनीति में हाव-भाव में छिरे होते हैं अहम संदेश

राजनीति खासकर कूटनीति में राजनेताओं और राजनयिकों के हाव-भाव और डायलॉग बेहद अहम होते हैं और उसमें कई संदेश के कूट छिपे होते हैं। जब 73 वर्षीय प्रधानमंत्री मोदी ने 46 साल के यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के कंधों पर हाथ रखा तो इससे पूरी दुनिया में एक संदेश गया है कि भारत इस गंभीर विपदा, पीड़ा और दुख की घड़ी में यूक्रेन के संघर्ष और जज्बे के साथ खड़ा है। इस दौरान दोनों नेता युद्ध की विभीषिका भरी तस्वीरों को देखकर करुणामय और भावुक नजर आए। जिस वक्त पीएम मोदी जेलेंस्की के कंधे पर हाथ रखे थे, उस वक्त दोनों नेता उस तस्वीर को निहार रहे थे, जिसमें रूसी आक्रमण की वजह से एक शहर को मलबे में तब्दील होता दिखाया गया है।

ट्रेन से 10 घंटे सफर कर पहुंचे कीव

प्रधानमंत्री मोदी पोलैंड से 10 घंटे का सफर कर ट्रेन के जरिए कीव पहुंचे थे। जब वह कीव पहुंचे तो यूक्रेनी राजनयिकों ने उनका भारतीय अंदाज में हाथ जोड़कर नमस्ते कर स्वागत किया। इसके बाद जेलेंस्की आगे बढ़कर उनसे हाथ मिलाया और फिर दोनों एक-दूसरे के गले लगे। दोनों नेताओं के बीच यह चौथी मुलाकात है। पीएम मोदी जेलेंस्की के निमंत्रण पर कीव पहुंचे हैं। 1991 में सोवियत संघ से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बनने के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा है। कीव दौरे से छह सप्ताह पहले पीएम मोदी मॉस्को के दौरे पर थे।

PM मोदी के दौरे पर टिकीं निगाहें

पीएम मोदी के दौरे पर दुनिया भर की नजरें टिकी हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के दौरे से रूस-यूक्रेन युद्ध शांति समझौते की तरफ बढ़ सकता है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन से भी प्रधानमंत्री मोदी की दोस्ती है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वह दोनों देशों को शांति समझौते की दिशा में कुछ सलाह दे सकते हैं। बता दें कि भारत ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थ बनने से इनकार करते हुए पहले ही कहा है कि दोनों देशों को ही आपसी बातचीत के जरिए युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान खोजना होगा।

PM मोदी के यूक्रेन दौरे के बीच US ने भी चला दांव, तीनों के लिए टाइमिंग क्यों खास

प्रधानमंत्री मोदी सात घंटे तक कीव में रहेंगे। इस बीच मोदी, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ पहले आमने-सामने और फिर प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे, जिसमें रूस-यूक्रेन संघर्ष का बातचीत के जरिए समाधान निकालने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। प्रधानमंत्री की कीव यात्रा को कई हलकों में कूटनीतिक संतुलन के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि उनकी रूस यात्रा से पश्चिमी देशों में नाराजगी पैदा हो गई थी।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज सुबह एक ऐतिहासिक आधिकारिक यात्रा पर कीव पहुंचे। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यूक्रेन की यह पहली यात्रा है।’’ प्रधानमंत्री पोलैंड से कीव तक ‘रेल फोर्स वन’ ट्रेन से गए, जिसमें करीब 10 घंटे का समय लगा। मोदी की दो देशों की यात्रा का यह अंतिम चरण है।

गले लगाया, फिर टिकाए रखा कंधे पर हाथ; कुछ ऐसी थी PM मोदी और जेलेंस्की की मुलाकात

कीव की यात्रा से लगभग छह सप्ताह पहले मोदी ने रूस की यात्रा की थी, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ संघर्ष समाप्ति के मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श किया था। पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क के साथ वार्ता के बाद मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा था कि यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष ‘गहरी चिंता’ का विषय हैं और शांति बहाल करने के लिए ‘बातचीत तथा कूटनीति’ ही रास्ता है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत का दृढ़ता से यह मानना है कि युद्ध के मैदान में किसी समस्या का हल नहीं निकलता। किसी भी संकट में निर्दोष लोगों की जान जाना पूरी मानवता के लिए बड़ी चुनौती है।’’

मोदी ने जून में इटली के अपुलिया में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान जेलेंस्की से बातचीत की थी। बातचीत के दौरान मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति से कहा था कि भारत यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में वह सब कुछ करेगा, जो वह कर सकता है। उन्होंने कहा था कि ‘बातचीत और कूटनीति’ के माध्यम से ही शांति लाई जा सकती है। (भाषा इनपुट्स के साथ)



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