वसीम अहमद /अलीगढ़ः पूरी दुनिया में बड़ी संख्या में लोग डायबिटीज के शिकार हैं. यह एक ऐसी बीमारी है जिसका सीधा-सीधा असर कई और बीमारियों पर पड़ता है. डायबिटीज की वजह से कई बार लोग डायबीटिक फुट अल्सर के शिकार हो जाते हैं. डायबीटिक फुट अल्सर का मतलब एक ऐसा बैक्टीरिया का उत्पन्न होना जिस कारण मरीज को गैंगरीन हो जाती है. कई बार पैर सड़ जाते हैं या काटना भी पड़ जाता है. ज्यादातर डॉक्टर इसके इलाज में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन यह बैक्टीरिया इतना डेवलप हो चुका होता है कि एंटीबायोटिक का कोई असर नहीं पड़ता.
अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने एक ऐसी थेरेपी ईजाद की है. जिससे इस समस्या के इलाज में लोगों को मदद मिल रही है. इस थेरेपी का नाम बायो डायनेमिक थेरेपी है. इसमें मरीज को कुछ दवाओं के स्प्रे के बाद लेजर थेरेपी दी जाती है. जिससे इन बैक्टीरिया को खत्म करने में काफी मदद मिलती है. इस रिसर्च का नेतृत्व AMU के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर असद उल्लाह खान कर रहे हैं. जिनके साथ एसोसिएट प्रोफेसर, छात्र व टेक्निकल टीम भी शामिल है.
एनिमल पर इस रिसर्च को अप्लाई किया
शुरुआत में इस टीम ने जानवरों पर इस रिसर्च को अप्लाई किया. जहां से सकारात्मक परिणाम आने के बाद टीम ने इस थेरेपी का इस्तेमाल मानवों पर भी करना शुरू कर दिया है. टीम में थेरेपी को रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है और अब AMU के ही राजीव गांधी डायबीटिक सेंटर से उनको पेशेंट मिलने भी शुरू हो गए हैं.टीम अब उन मरीजों पर भी काम कर रही है.
डायबिटीज फुट अल्सर के लिए थेरेपी
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर असद उल्लाह खान ने रिसर्च को लेकर बताया कि यह डायबिटीज फुट अल्सर के लिए थेरेपी है. लगभग 5 मिलियन से ज्यादा लोग जो डायबीटीज के शिकार है. उसके अंदर 19% से 30% जिनमें डायबिटीज फुट अल्सर होता है. एक समय के बाद और उसमें से करीब 20% लोग इंफेक्शन की के शिकार हो जाते हैं. एक अच्छी परसेंट में मौत भी हो जाती है. आज की दिनांक में डायबिटीज फुट अल्सर का ट्रीटमेंट अभी तक नहीं है. उसका रीजन यह है कि जो एंटीबायोटिक चलाई जाती है. उनके अंदर प्रतिरोधक क्षमता डेवलप हो रही है. बैक्टीरिया के अंदर , जिस कारण यह बैक्टीरिया डेवलप हो रहा है उससे गैंगरीन हो जाती है. पैर सड़ जाता है काटना पड़ जाता है.
फोटो डायनामिक थेरेपी क्या है?
उन्होंने कहा, ‘यह जो टेक्नोलॉजी हमने डेवलप की है इस पर हम 10 साल से काम कर रहे हैं और यह टेक्नोलॉजी फोटो डायनामिक थेरेपी कहलाती है. जिसमें हम लेजर की मदद से फोटो थेरेपी करते हैं और उसके साथ खाली लेजर नहीं होता. उसे हमने एक कंपोजिट बनाया है. जिसमें नैनो पार्टिकल्स है और कुछ और ड्रग्स है. उनका हम इस्तेमाल करते हैं. उनका कंपोजिशन बनाने के बाद हम उसका स्प्रे करते हैं और इसके लिए करने के बाद लेजर लाइट देते हैं. तकरीबन 12 से 14 मिनट का ट्रीटमेंट है.’
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FIRST PUBLISHED : December 26, 2023, 13:12 IST