Tuesday, June 17, 2025
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डिजिटल अरेस्ट के बाद अब साइबर स्लेवरी का खतरा… बेरोजगार युवा हो रहे हैं शिकार! ऐसे करें बचाव


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What Is Cyber Slavery : इन दिनों विदेश में नौकरी की करना नौजवानों का सपना बन गया है. इसी का फायदा उठाकर साइबर ठग भारतीयों को अपना शिकार बना रही हैं. और उन्हें विदेश बुलाकर जबरदस्ती साइबर क्राइम करने को मजबूर …और पढ़ें

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साइबर स्लेवरी के शिकार हो रहे शिकार

हाइलाइट्स

  • साइबर स्लेवरी में युवाओं को विदेश में नौकरी का लालच देकर फंसाया जाता है.
  • पीड़ितों को साइबर अपराध, डेटा चोरी और अश्लील कंटेंट बनाने पर मजबूर किया जाता है.
  • विदेश में नौकरी के ऑफर मिलने पर सतर्क रहें और कंपनी की जांच करें.

देहरादून: आधुनिकता के दौर में जैसे-जैसे तकनीक हमारी जिंदगी में घर कर गई है. वैसे ही इन चीज़ों ने नए अपराधों को भी जन्म दिया है. आए दिन हम सोशल मीडिया के जरिए डिजिटल ठगी के मामले अपने आस-पास सुनते आए है. अपराधी भी डिजिटल तरीकों से लोगों को शिकार बना रहे हैं. जिसमें डिजिटल अरेस्ट, ई-ट्रेडिंग फ्रॉड, डेटिंग एप फ्रॉड, साइबर बुलिंग, फर्जी लोन एप्स, जॉब ऑफर फ्रॉड, इनकम टैक्स फ्रॉड, साइबर स्लेवरी जैसे तरीके शामिल हैं. इन तरीकों के जरिए अपराधी आपको शिकार बनाने के फिराक में लगा हुआ है. वर्तमान में साइबर स्लेवरी भी एक उन्हीं तरीकों में से एक है. आइए, इसे समझते हैं, आखिर ये क्या है.

क्या है साइबर स्लेवरी?
लोकल18 से आईटी एक्सपर्ट अंकित शर्मा ने कहा कि साइबर स्लेवरी (Cyber Slavery) एक आधुनिक तरीके के गुलामी है, जिसमें लोगों को ऑनलाइन धोखाधड़ी, साइबर अपराधया डिजिटल जबरन श्रम में फंसाया जाता है. इसमें पीड़ितों को लुभावनी नौकरियों का लालच दिया जाता है, लेकिन बाद में उन्हें इंटरनेट स्कैम, डेटा चोरी, ऑनलाइन ठगी या जबरन अश्लील कंटेंट बनाने जैसे अपराधों में मजबूर किया जाता है.

कैसे काम करता है साइबर स्लेवरी?
लुभावने जॉब ऑफर – सोशल मीडिया या जॉब पोर्टल्स के जरिए हाई सैलरी और विदेश में नौकरी के झूठे ऑफर दिए जाते हैं.
फ्रॉड और बंधक बनाना– लोगों को विदेश बुलाकर उनके पासपोर्ट और दस्तावेज जब्त कर लिए जाते हैं.
डिजिटल अपराधों में मजबूरी – उन्हें साइबर ठगी, ऑनलाइन धोखाधड़ी या अश्लील सामग्री फैलाने के लिए मजबूर किया जाता है.
ब्लैकमेलिंग और हिंसा – भागने की कोशिश करने पर शारीरिक हिंसा या परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जाती है.

कौन होते है इसका शिकार?
बेरोजगार युवा, जिन्हें विदेश में नौकरी का लालच दिया जाता है. वे अक्सर इन अपराधियों के लुभावनी बातों में आ जाते है. इसके अलावा, कम पढ़े-लिखे लोग, जिन्हें डिजिटल धोखाधड़ी की जानकारी नहीं होती, वे भी इसके शिकार हो जाते हैं. वर्तमान समय में ऑनलाइन गेमिंग या सोशल मीडिया के जरिए ठगे जाने वाले लोग इनका शिकार होते हैं.

कैसे बचें साइबर स्लेवरी से?
अगर कोई आपको डिजिटल तरीके से अविश्वसनीय जॉब ऑफर्स दे रहा तो सतर्क हो जाएं, खासकर अगर वे विदेश जाने के लिए जल्दबाजी करने को कहें. सोशल मीडिया और जॉब पोर्टल्स पर शेयर की गई जानकारी को सावधानी से दें. विदेश यात्रा से पहले कंपनी की पूरी जांच करें और एंबेसी से पुष्टि करें. अगर फंस जाएं, तो तुरंत भारतीय दूतावास, साइबर क्राइम सेल या परिवार से संपर्क करें. हाल ही में कई भारतीय युवाओं को साइबर स्लेवरी के मामलों में फंसाया गया है, खासकर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में. गौरतलब है कि उत्तराखंड में भी डिजिटल ठगी के मामले अब आम से हो गए हैं. बीते ढाई महीनों में ही 10 मामलों में तकरीबन 1 करोड़ 85 लाख रुपये की ठगी हो चुकी है.

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