Monday, June 30, 2025
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तालिबान के राजदूत ने कर दिया पाकिस्तान के राष्ट्रगान का अपमान, भड़क गई शहबाज सरकार


पाकिस्तान और अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत में एक बार फिर ठन गई है। मामला पाकिस्तान के पेशावर में एक कार्यक्रम से जुड़ा है। जब कार्यक्रम की शुरुआत में पाकिस्तान का राष्ट्रीय गान चलाया गया तो उपस्थित अपगान राजदूत अपनी कुर्सी पर ही बैठे थे। इस मामले को पाकिस्तान सरकार ने गंभीरता से लिया है। अफगान राजदूत की तालिबान से शिकायत की है। विदेश मंत्रालय ने मामले में अफगान क प्रभारी राजदूत को भी तलब किया। मामले में अफगान दूतावास से भी अजीबो-गरीब दलील भी आई है।

पाकिस्तान के अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि इस्लामाबाद ने काबुल से शिकायत की है कि देश के उत्तर-पश्चिम में एक कार्यक्रम के दौरान जब पाकिस्तानी राष्ट्रगान गाया गया तो एक अफगान राजनयिक खड़ा नहीं हुआ। विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर विरोध जताते हुए अफगानिस्तान के प्रभारी राजदूत और इस्लामाबाद में अपने सबसे वरिष्ठ राजनयिक अहमद शाकिब को भी तलब किया।

पाकिस्तानी अधिकारियों के अनुसार, उत्तर-पश्चिमी शहर पेशावर में अफगान महावाणिज्यदूत मोहिबुल्लाह शाकिर एक आधिकारिक समारोह के दौरान जब राष्ट्रगान गाया गया तो वे अपनी सीट पर ही बैठे रहे। मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने कहा कि मेजबान देश के राष्ट्रगान का ऐसा अनादर कूटनीतिक मानदंडों के खिलाफ है।

अफगान दूतावास की अजीबो-गरीब दलील

पेशावर में अफ़गान वाणिज्य दूतावास ने इस मामले में बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि शाकिर इसलिए खड़े नहीं हुए क्योंकि राष्ट्रगान संगीत के साथ चल रहा था। अगर राष्ट्रगान बिना संगीत के गाया जाता तो शाकिर सम्मान में खड़े हो जाते। उन्होंने कहा कि शाकिर को यह जानकारी थी कि अगर राष्ट्रगान संगीत के साथ चले तो खड़े होने की जरूरत नहीं है, वरना वो राष्ट्रगान को सम्मान जरूर देते। बता दें कि तालिबान ने अफगानिस्तान में संगीत पर प्रतिबंध की घोषणा कर रखी है।

गौरतलब है कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर सत्ता काबिज करने के बाद तालिबान ने देशभर में अंतरिम सरकार का गठन किया है। तालिबान अफगानिस्तान में पब्लिक पर शरिया कानून के नाम पर तमाम प्रतिबंध लगा रहा है। जिसमें संगीत से लेकर हेयर कट और फिल्में देखना तक शामिल है। इस्लामाबाद और काबुल के बीच संबंध काफी समय से खराब हो गए हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि अफ़गानिस्तान के नए शासक खुलेआम पाकिस्तानी तालिबान का समर्थन करते हैं। यह एक ऐसा चरमपंथी संगठन है जिस पर पाकिस्तान में आतंकी हमलों के आरोप लगते रहते हैं।



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