Thursday, June 26, 2025
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दिल्ली में ये कैसी कूटनीतिक जंग? नेपाल और बांग्लादेश के डिप्लोमेट्स क्यों मांग रहे भारत से मदद


दिल्ली में एक ऐसी कूटनीतिक जंग चल रही है, जिसने भारत के सामने धर्मसंकट खड़ा कर दिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साउथ ईस्ट एशिया रीजनल ऑफिस (SEARO) के डायरेक्टर का इसी हफ्ते चुनाव होना है. इस चुनाव में एक तरफ बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना की बेटी साइमा वाजेद (Saima Wazed) मैदान में हैं. तो दूसरी तरफ नेपाल के टॉप पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट शंभू प्रसाद आचार्य दावेदारी पेश कर रहे हैं. भारत को इन दोनों कैंडिडेट्स में से किसी एक को चुनना है.

शेख हसीना की बेटी साइमा वाजेद की बात करें तो वह स्कूल साइकोलॉजिस्ट हैं और WHO की मेंटल हेल्थ और ऑटिज्म की डिपार्टमेंट की एडवाइजर रही हैं. जबकि आचार्य पिछले 30 सालों से डब्ल्यूएचओ के साथ काम कर रहे हैं और इस समय बतौर डायरेक्टर जिनेवा में तैनात हैं.

1 नवंबर को होना है चुनाव
साउथ ईस्ट एशिया रीजन की रीजनल कमेटी इसी हफ्ते, 1 नवंबर को रीजनल डायरेक्टर के चुनाव के लिए वोट करेगी. दिल्ली में 30 अक्टूबर से 2 नवंबर के बीच रीजनल कमेटी का 76वां सेशन आयोजित किया गया है. इसी सेशन में मतदान होना है.

कौन-कौन हैं मेंबर?
साउथ ईस्ट एशिया रीजन के सदस्यों की बात करें तो इसके कुल 11 मेंबर हैं. भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाइलैंड, और टिमोर शामिल हैं. सभी 11 देश में WHO का दफ्तर है. जबकि दिल्ली में रीजनल ऑफिस का कार्यालय है.

क्या है चुनावी गणित?
चूंकि साउथ ईस्ट एशिया रीजनल कमेटी के 11 मेंबर हैं, ऐसे में किसी भी कैंडिडेट को रीजनल डायरेक्टर बनने के लिए कम से कम 6 वोट की जरूरत पड़ेगी. दोनों कैंडिडेट्स अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए डिप्लोमेटिक लेवल की कैंपेनिंग कर रहे हैं. बांग्लादेश और नेपाल की सरकारें भी इनके पीछे खड़ी हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश और नेपाल दोनों के डिप्लोमेट्स नई दिल्ली के संपर्क में हैं. बांग्लादेश को उम्मीद है कि दोनों देशों के राजनीतिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए भारत  साइमा का समर्थन करेगा. साइमा को, शेख हसीना का उत्तराधिकारी भी माना जा रहा है. वह लंबे वक्त से ऑटिज्म के फील्ड में काम कर रही हैं. डब्ल्यूएचओ के लिए तमाम कैंपेन रन कर चुकी हैं. उधर, नेपाल अपने कैंडिडेट शंभू प्रसाद आचार्य के मजबूत बैकग्राउंड का हवाला दे रहा है.

दिल्ली में ये कैसी कूटनीतिक जंग? नेपाल और बांग्लादेश के डिप्लोमेट्स क्यों मांग रहे भारत से मदद

भारत का पलड़ा क्यों भारी?
बांग्लादेश और नेपाल दोनों का मानना है कि भारत रीजनल कमेटी का एक ऐसा मेंबर है, जिसकी बात दूसरे देश भी मानेंगे. भारत जिस तरफ जाएगा, उस कैंडिडेट के जीतने की संभावना ज्यादा है. इसीलिए दोनों देश डिप्लोमेटिक लेवल पर जोर जोर से कैंपेनिंग कर रहे हैं. बता दें कि अभी पूर्व IAS अफसर पूनम खेतरपाल सिंह (Poonam Khetrapal Singh) रीजनल डायरेक्टर हैं.



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