कोलकाता. वर्ष 1774 में बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा स्थापित कोलकाता जीपीओ को भारत का पहला सामान्य डाकघर होने का गौरव प्राप्त है. अपने 250 साल के इतिहास में, इसने देश में डाक सेवाओं के विकास के लिए एक प्रमाण के रूप में कार्य किया है. भारत के डाक परिदृश्य को आकार देने में कोलकाता जीपीओ की महत्वपूर्ण भूमिका का जश्न इस महीने मनाया जा रहा है.
पश्चिम बंगाल सर्किल के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल नीरज कुमार ने कहा कि कोलकाता जीपीओ पूरे देश में व्यापक डाक सेवाओं की आधारशिला रहा है. कुमार ने कहा कि कोलकाता जीपीओ की 250वीं वर्षगांठ का जश्न ‘लोगों की सेवा के लिए इसकी स्थायी विरासत और अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जो लगातार बदलती दुनिया में इसकी कालातीत प्रासंगिकता को दर्शाता है.’
शहर के डलहौजी स्क्वायर क्षेत्र में हुगली नदी, ‘लालदीघी’ जल निकाय और ब्रिटिश काल की कई इमारतों के बीच स्थित जीपीओ कोलकाता की सफेद इमारत को वर्षगांठ समारोह के दौरान रोशनी से जगमग किया गया है. पुराने जीपीओ को 1774 से 1868 तक कई बार विभिन्न स्थानों पर स्थानांतरित किया गया था और वर्तमान जीपीओ भवन 2 अक्टूबर 1868 को जनता के लिए खोल दिया गया था. 250वीं वर्षगांठ पर एक विशेष डाक टिकट कवर जारी करके जीपीओ को सम्मानित किया गया.

मुख्य पोस्टमास्टर जनरल नीरज कुमार ने कहा कि ‘जीपीओ कोलकाता एक ऐसी संस्था है जो साम्राज्यों और सरकारों से लेकर शासन व्यवस्था व अर्थव्यवस्था तक विभिन्न क्षेत्रों में बदलावों के बावजूद दो शताब्दियों से भी अधिक समय से मजबूती के साथ खड़ा है. डाक सेवाएं और कोलकाता जीपीओ समय के साथ बदलते हुए परिवहन, प्रौद्योगिकियों और विविधीकरण के नए तरीकों को अपना रहे हैं.’
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FIRST PUBLISHED : March 17, 2024, 23:04 IST