महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए महाविकास अघाड़ी के घटक दल सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इसे लेकर जल्द तस्वीर साफ हो जाएगी। कांग्रेस गठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें लड़ने का दावा कर रही है, लेकिन पार्टी के लिए विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं है। लोकसभा चुनाव में इस प्रदेश से कांग्रेस ने 13 सीटें जीती थीं। वहीं, खास बात है कि कांग्रेस बीते 10 सालों से विधानसभा चुनाव में 50 सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू पा रही है।
85-85 सीट पर लड़ेंगे MVA के दल
कांग्रेस, राकांपा (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) के गठबंधन ‘महा विकास आघाडी’ (एमवीए) ने बुधवार को महाराष्ट्र में 85-85 सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा की। हालांकि सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने को लेकर विचार-विमर्श अब भी जारी है। तीनों सहयोगी दल कुल 288 में से शेष 33 सीट को आपस में तथा छोटी पार्टियों के साथ बांटने पर चर्चा कर रहे हैं। शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कुल 288 सीट में से 270 पर सहमति बन गई है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस और शरद पवार की अध्यक्षता वाली एनसीपी (एसपी) का साथ दशकों पुराना है। दोनों पार्टियां पिछले दो दशकों से मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। इन सभी चुनाव में कांग्रेस हमेशा बड़े भाई की भूमिका में रही है। यानी कांग्रेस ने एनसीपी से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा है। चुनाव के बाद गठबंधन सरकार का नेतृत्व भी कांग्रेस ने किया।
2019 में महाविकास अघाड़ी के गठन के बाद कांग्रेस गठबंधन में दूसरे नंबर की पार्टी बनी, पर पांच वर्ष के अंदर कांग्रेस ने खुद को साबित करते हुए 17 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा और 13 जीत लीं। वहीं, उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता वाली शिवसेना 21 सीट लड़कर सिर्फ नौ जीत पाई। अब कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन ही विधानसभा के लिए चुनौती है।
हरियाणा की तरह गुटबाजी
हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी पार्टी के अंदर गुटबाजी कम नहीं है। अंदरूनी गुटबाजी के साथ पार्टी को गठबंधन के सहयोगियों के खिलाफ बयानबाजी से भी निपटना होगा। क्योंकि, इससे चुनावी नुकसान होता है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व को पार्टी नेताओं की बयानबाजी और अंदरूनी झगड़ों पर लगाम कसते हुए बेहतर समन्वय व एकजुटता के साथ चुनाव प्रचार करना होगा।
पिछली बार एनसीपी का प्रदर्शन बेहतर
विधानसभा चुनाव (2019) में कांग्रेस और शरद पवार की अध्यक्षता में एनसीपी ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने 147 और एनसीपी ने 121 उम्मीदवार उतारे थे। कांग्रेस 44 और एनसीपी 54 सीटें जीतने में सफल रही। ऐसे में एनसीपी का स्ट्राइक रेट कांग्रेस के काफी बेहतर रहा।
2009 की तरह प्रदर्शन करना होगा
महाराष्ट्र में एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन छह विधानसभा सीटें हैं। ऐसे में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के मुताबिक 76 सीटें जीतनी होंगी। इसके लिए उसे 2009 के चुनाव का प्रदर्शन दोहराना होगा। उसमें कांग्रेस ने 82 सीटें जीती थीं। पर उसके बाद के चुनावों में कांग्रेस 50 का आंकड़ा भी नहीं छू पाई।