रिपोर्ट- सावन कुमार
बक्सर. विदेशी फल ड्रैगन फ्रूट को देसी जमीन भा गयी है. अब यहां भी ये खूब फल फूल रहा है. इसकी बदौलत किसान भी फल फूल रहे हैं. ड्रैगन फ्रूट की खेती अब बिहार में भी खूब हो रही है. इसमें मेहनत कम और मुनाफा भरपूर है. सेहत के लिए भी ये फायदेमंद है.
बिहार के किसान भी अब ड्रैगन फ्रूट की खेती करने लगे हैं. इसका कारण यह है कि इसमें किसानों को मोटी कमाई हो जाती है. इसलिए उनका झुकाव इस विलायती फल की तरफ हो गया है. जिला मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर पड़री गांव में तिवारीपुर के पास बैकुंठ तिवारी भी ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. बैकुंठ तिवारी ने छोटे भाई से मिली सलाह के बाद इसकी खेती शुरू की और फिर लगा की फैसला सही है.
देशभर से जुटाई जानकारी
बैकुंठ तिवारी में ड्रैगन फ्रूट की खेती का इतना जूनून था कि उन्होंने देश के कई स्थानों पर जाकर इसके बारे में जानकारी इकट्ठा की. वो बताते हैं इस फ्रूट के बारे में सिर्फ सुना था. इसके बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं थी कि इसकी खेती कैसे की जाए. कुछ जानकारी यूट्यूब से ली, लेकिन ये जानकारी पर्याप्त नहीं थी. उसके बाद देश के कई इलाकों में विजिट किया. कई- कई दिन तक वहां रुककर इसके प्लांट और खेती के बारे में जाना.
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वातावरण और जलवायु सबसे बड़ी चुनौती
बैकुंठ तिवारी ने लोकल 18 को बताया ड्रैगन फ्रूट की खेती करने में सबसे बड़ी चुनौती वातावरण और जलवायु की है. इसे बारीकी से जानने के लिए हरियाणा के किसान के पास रहकर देखा. किसान के प्लॉट पर 10 दिनों तक रहकर रॉकेट ड्रैगन फ्रूट के रख-रखाव से लेकर खेती करने का तरीका सीखा. इसी प्रक्रिया को बक्सर आकर अपनाया. उन्होंने बताया हरियाणा और बिहार का मौसम एक तरह का है इसलिए हरियाणा से ही ड्रैगन फ्रूट का पौधा लेकर आए. शुरुआत में तो गांव के लोग ड्रैगन फ्रूट के पौधे को देखकर मजाक उड़ाते थे. लोग यही कहते थे कि कहां से जंगली पौधा लेकर आ गया है. लोगों की बातों को सुनकर हताश तो जरूर हुए, लेकिन कुछ करने की चाह लेकर आगे बढ़ते रहे. खेत को ड्रैगन फ्रूट के अनुकूल बना दिया. जब पौधे में फल निकलने लगा तब लगा की मेहनत सफल हो गयी.
ड्रैगन फ्रूट की 153 वैरायटी
बैकुंठ तिवारी ने का दावा है ड्रैगन फ्रूट सिर्फ जंगली पौधा लगता है. जबकि यह फ्रूट औषधीय गुणों से भरपूर है. बाजार में भी इसकी डिमांड जबरदस्त है. लोगों को पता नहीं है कि ड्रैगन फ्रूट की दुनिया में 153 वैरायटी उपलब्ध हैं. फिलहाल वो तीन वैरायटी के ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. पहले साल 450 ग्राम वजन के फल हुए. इस बार अनुमान है कि इस बार एक फल 600 ग्राम तक का होगा. उन्होंने बताया ड्रैगन फ्रूट की पूरी खेती जैविक आधारित है. इसमें एक भी केमिकल का प्रयोग नहीं करते. जैविक खाद से लेकर कीटनाशक तक खुद से तैयार करते हैं.
पूरी तरह से आयुर्वेदिक है यह फल
बैकुंठ तिवारी ने लोकल 18 को बताया पहले साल खेती करने पर आधे एकड़ से 500 ड्रैगन फ्रूट निकले थे. पहले तो गांव वालों को यह फल खिलाया और कुछ बांट दिए. लोगों को इसका स्वाद भा गया. बस उसके बाद इसके कस्टमर बनते गए. आज के समय में दूर-दूर से लोग इस फल को खरीदने आते हैं. बैकुंठ ने बताया ये फल पूरी तरह से आयुर्वेदिक है और इसके कई फायदे हैं. इसके नियमित सेवन करने से कैंसर जैसी बीमारी से निजात पाया जा सकता है. कैंसर का सेल्स शरीर में जहां तक बढ़ गया होता है, उसे वहीं पर रोकने की क्षमता इस फ्रूट में है. उन्होंने बताया पीस और किलो दोनों के हिसाब से ये फल बिकता है. पिछले साल 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ड्रैगन फ्रूट बेचा था.
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FIRST PUBLISHED : March 19, 2024, 13:18 IST