Sunday, June 29, 2025
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस को घोषित किया जाए ‘राष्ट्र पुत्र’… PIL में की गई मांग, जानें फिर सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ


नई दिल्ली. ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे नेता ‘अमर’ हैं और उन्हें न्यायिक आदेश के जरिये मान्यता देने की जरूरत नहीं है.’ इस महान स्वतंत्रता सेनानी को ‘राष्ट्र पुत्र’ घोषित करने की मांग करते हुए दायर एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह टिप्पणी की. इस याचिका में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी की भूमिका को कथित तौर पर कमतर करने और उनके लापता होने या मौत के बारे में सच्चाई का खुलासा नहीं करने के लिए कांग्रेस से माफ़ी की भी मांग की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में बोस की भूमिका को स्वीकार करने की घोषणा के लिए न्यायिक आदेश अनुचित होगा, क्योंकि यह उनके जैसे नेता के कद के अनुकूल नहीं होगा कि उन्हें अदालत से मान्यता के शब्द की जरूरत पड़े.

सब जानते हैं नेताजी का योगदान
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा, ‘नेताजी जैसे नेता को कौन नहीं जानता? देश में हर कोई उन्हें और उनके योगदान को जानता है. आपको उनकी महानता को लेकर कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं. उनके जैसे नेता अमर हैं.’

कोर्ट यहां कटक स्थित पिनकपानी मोहंती की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अदालत से यह घोषणा करने की मांग की थी कि बोस के नेतृत्व वाली भारतीय राष्ट्रीय सेना (आजाद हिंद फौज) ने ब्रिटिश शासन से आजादी हासिल की थी. मोहंती की याचिका में बोस के योगदान को मान्यता देने में कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठाया गया था. इसके साथ ही कहा गया था कि इस राजनीतिक दल ने बोस के लापता होने या मृत्यु से जुड़ी फाइलों को छिपाकर रखने का फैसला किया.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को घोषित किया जाए 'राष्ट्र पुत्र'... PIL में की गई मांग, जानें फिर सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ

जनहित याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को बोस के जन्मदिन 23 जनवरी को ‘राष्ट्रीय दिवस’ ​​घोषित करना चाहिए और नेताजी को “राष्ट्र का पुत्र” घोषित करना चाहिए. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मोहंती से कहा कि बोस जैसे प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानियों को उनकी भूमिका की सराहना के लिए अधिकारियों को अदालत के आदेश का इंतजार नहीं करना होता. जस्टिस कांत ने कहा, ‘उनके जैसे नेता वास्तव में किसी भी अदालत द्वारा मान्यता देने से परे हैं. वे महान लोग हैं और सिर्फ हम ही नहीं, पूरा देश उनके जैसे नेताओं का कर्जदार है.’

Tags: PIL, Subhash Chandra Bose, Supreme Court



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