नई दिल्ली. नोएडा में बिल्डरों के 118 प्रोजेक्ट में करीब 34 हजार फ्लैट खरीदारों को मालिकानाहक और 69 हजार फ्लैटों के निर्माण को लेकर अथॉरिटी बोर्ड में अहम फैसला लिया है. औद्योगिक विकास आयुक्त और नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित 213वीं बोर्ड बैठक संपन्न हुई. बोर्ड बैठक में अमिताभ कांत समिति की सिफारिशें लागू करने पर शासन से जारी शासनादेश को अंगीकृत करने पर मुहर लग गई है. इससे बिल्डर परियोजनाओं को पूरा करने के लिए शून्यकाल यानि जीरो पीरियड का लाभ मिलेगा. बकाया जमा करने के लिए समयावधि, मोर्टगेज परमिशन, परियोजना पूरी करने के लिए समय वृद्धि का लाभ मिल सकेगा. जबकि फ्लैट खरीदारों को तीन महीने में रजिस्ट्री, अतिरिक्त पैसा नहीं देने समेत कई लाभ मिलेंगे. हालांकि शर्तों का उल्लंघन करने पर बिल्डरों को लाभ नहीं मिल सकेगा. बोर्ड बैठक में नोएडा अथॉरिटी के CEO लोकेश एम. ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ एनजी रवि एनजी. समेत तीनों अथॉरिटी और बोर्ड के अन्य सदस्यों की मौजूदगी में इस प्रस्ताव पर मुहर लग गई है.
दरअसल, नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से शासनादेश जारी किए गए. इन सिफारिशों को लागू करने के लिए नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की 26 दिसंबर को आयोजित बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखे गए. फ्लैट खरीदारों को घर दिलाने के मकसद से प्राधिकरण चेयरमैन और बोर्ड के अन्य सभी सदस्यों ने इसे अंगीकृत करने पर तत्काल सहमति दे दी. अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिहाज से कई राहत का ऐलान किया गया है.
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बिल्डरों को कौन से लाभ मिलने वाले हैं?
कोरोना काल के तहत बिल्डरों को 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2022 तक शून्य काल का लाभ दिया जाएगा. ओखला बर्ड सेंचुरी के 10 किलोमीटर के दायरे में एनजीटी के आदेशों के क्रम में 14 अगस्त 2013 से 19 अगस्त 2015 तक जीरो पीरियड का लाभ मिलेगा. यह केस टू केस पर लागू होगा. शून्यकाल (जीरो पीरियड) का लाभ लेने के बाद बकाया धनराशि का 25 प्रतिशत 60 दिनों के भीतर जमा करना होगा. शेष 75 प्रतिशत पैसा साधारण ब्याज के साथ तीन साल में जमा करना होगा. को-डेवलपर को परियोजना पूरी करने की अनुमति मिल सकेगी. अथॉरिटी की बकाया धनराशि देने की जिम्मेदारी दोनों की होगी. परियोजना की अनुपयुक्त भूमि को आंशिक सरेंडर करने की अनुमति होगी. प्राधिकरण सरेंडर की गई भूमि के लिए पहले से भुगतान की गई राशि को बिल्डर के बकाए के साथ समायोजित करेंगे. प्राधिकरण का बकाया पैसा न देने पर आंशिक भाग का आवंटन रद्द कर सकेगा.
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बायर्स से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं
बकाया राशि का सत्यापन एक स्वतंत्र सीए करेगा. इस पॉलिसी से लाभान्वित परियोजना के बायर्स से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा. सभी नियमों को पूरा करने के बाद प्रचलित दर पर अतिरिक्त एफएआर दिया जा सकेगा. परियोजना को पूरा करने के लिए समय विस्तार शुल्क के बिना अधिकतम तीन वर्ष मिलेगा. कुल ड्यूज के सापेक्ष 25 धनराशि जमा करने पर पीटीएम की अनुमति दी जाएगी. बकाया भुगतान अधिकतम तीन साल में जमा करना होगा. सौ करोड़ रुपये तक के बकाये की राशि एक वर्ष के अंदर जमा की जाएगी. 500 करोड़ रुपये तक की राशि दो वर्षों में तथा इससे अधिक धनराशि तीन वर्ष में अदा करनी होगी. ड्यूज का 25 फीसदी धनराशि जमा करने के लिए 60 दिन का समय मिलेगा. औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने कहा कि सरकार की इस पहल से खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी. सभी बने हुए फ्लैट की ओसी-सीसी हो जाएगी. फ्लैटों में रहने वाले खरीदारों के नाम जल्द रजिस्ट्री हो जाएगी. इससे खरीदारों को मालिकाना हक मिलेगा.

34 हजार बायर्स को मिलेगा मालिकाना हक
नोएडा अथॉरिटी में कुल 118 प्रोजेक्ट है. इसमें 1 लाख 69 हजार 250 यूनिट सेंशन है. इसमें से 99 हजार 792 यूनिट को ओसी मिल चुका है. वहीं 65 हजार 277 फ्लैटों की रजिस्ट्री हो चुकी है. ऐसे में कुल 34 हजार के आसपास बायर्स को उनका मालिकाना हक मिलेगा. करीब 69 हजार फ्लैटों का निर्माण हो सकेगा. वहीं नोएडा प्राधिकरण में कुल 87 डिफाल्टर प्रोजेक्ट है. जिनका प्राधिकरण पर करीब 28 हजार करोड़ का बकाया है. 31 प्रोजेक्ट कोर्ट और एनसीएलटी में चल रहे है. इसमें 35 हजार फ्लैट और 20 हजार करोड़ बकाया है. वहीं 56 डिफाल्टर प्रोजेक्ट है इसमें 32 हजार फ्लैट और 8000 करोड़ का बकाया है.
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FIRST PUBLISHED : December 27, 2023, 21:56 IST