Thursday, June 26, 2025
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पकड़वा विवाह ‘किसी को पकड़कर सिंदूर लगाना शादी नहीं’, सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के इस फैसले पर लगाई रोक


नई दिल्ली. हमारे समाज में शादी को लेकर आदिकाल से ही अलग-अलग प्रथाएं चलीं आ रही हैं. जहां एक ओर कई लोग अपने बच्चों की कच्ची उम्र में ही शादी करा देते थे. तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोग 40 साल की उम्र तक भी शादी नहीं करते हैं. एक ऐसा ही विवाह हमारे समाज में और प्रचलित है, जिसे ‘पकड़वा विवाह’ या ‘जबरन विवाह’ कहते हैं.

सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने बुधवार को आदेश दिया, कि कोर्ट के अगले आदेश तक, लागू फैसले के संचालन और कार्यान्वयन पर पूरी तरह से रोक लगी रहेगी.
नवंबर 2023 में, पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी बी बजंथरी और अरुण कुमार झा की पीठ ने कहा, कि विवाह का पारंपरिक हिंदू रूप ‘सप्तपदी’ और ‘दत्त होम’ के अभाव में वैध विवाह नहीं होता है. उच्च न्यायालय ने कहा, “यदि ‘सप्तपदी’ पूरी नहीं हुई है, तो विवाह पूर्ण और बाध्यकारी नहीं माना जाएगा.”

उच्च न्यायालय के सामने अपनी याचिका करने गये एक युवक ने बताया, कि किस तरह उसे बंदूक की नोक पर रखकर शादी के लिए मजबूर किया गया था, उससे कहा गया था कि उसे बिना किसी धार्मिक या आध्यात्मिक अनुष्ठान के लड़की के माथे पर सिन्दूर लगाने के लिए मजबूर किया गया था. आगे उस युवक ने कहा, कि उसकी शादी जून 2013 में सारे हिंदू रीति-रिवाजों के तहत हुई थी, और शादी के समय उसके पिता ने उपहार में सोना, 10 लाख रुपये और अन्य सामग्री भी दी थी. उसके बावजूद भी मेरे साथ यह घटना हुई.

‘पकड़वा विवाह’ में लड़कों को अपहरण करके या बहला-फुसलाकर बंधक बना लिया जाता है. और फिर रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार लड़की से शादी करा दी जाती है. इस शादी में दूल्हा-दुल्हन बनने वाले लड़के और लड़की की इच्छाओं का कोई महत्व नहीं होता है, और न ही उनसे शादी के बारे में कुछ पूछा जाता है, न बताया जाता है.

इस तरह के विवाहों के मामले में वरिष्ठ नागरिक जो वजह मानते हैं, वह वजह है बेटी के विवाह में दहेज देने में असमर्थता. हर माता- पिता अपनी बेटी की शादी एक अच्छे घर में और एक अच्छे लड़के के साथ करना चाहते हैं. ऐसे में जो लोग अच्छा दहेज देने में असमर्थ होते थे, वो लोग लड़कों को पकड़वाकर अपनी बेटियों की शादी करा दिया करते थे. वहीं से इस प्रथा का चलन चला.



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