Tuesday, March 11, 2025
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पश्चिमी दिल्ली में 9 साल पुरानी हत्या का आरोपी बिहार से गिरफ्तार.


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कानून के हाथ लंबे होते हैं… इसका ताजा उदाहरण दिल्ली में देखने को मिला. यहां 9 साल पहले एक महिला की हत्या हुई थी. पुलिस लगातार ही आरोपी की तलाश करती रही. फिर एक उसे कुछ ऐसा पता चला कि वह तुरंत बिहार के लिए रवा…और पढ़ें

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पुलिस ने 9 साल पुराना केस सुलझाते हुए बिहार के शेखपुरा से हत्या के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

हाइलाइट्स

  • 9 साल बाद पुलिस ने सुनील कुमार को बिहार से गिरफ्तार किया.
  • महिला की हत्या के बाद सुनील फरार था, पुलिस ने 25,000 का इनाम रखा था.
  • सुनील ने पत्नी की हत्या कर लाश को प्लास्टिक में छुपाया था.

पश्चिमी दिल्ली का रणहौला इलाका… वहां नौ साल पहले हुई वारदात एक बार फिर सुर्खियों में है. यहां एक किराए के मकान से तेज बदबू आ रही थी. जब यह दुर्गंध बर्दाश्त से बाहर हो गई मकान मालिक को दरवाजा तोड़कर अंदर देखने का फैसला किया. जैसी ही उसने दरवाजा तोड़ा तो अंदर का नजारा देखकर दंग रह गया. वहां एक महिला की लाश प्लास्टिक के बोरे में ठूंसी हुई थी. उसने तुरंत पुलिस को इसकी खबर दी, जिसने पाया कि महिला की गला रेतकर हत्या की गई थी.

इस घटना की खबर सुनकर महिला के परिवारवाले भी वहां पहुंच गए. महिला के भाई ने पुलिस को बताया कि उसे इस हत्या के पीछे उसके पति पर शक है. हालांकि, इस मामले में पेच और उलझ गई, क्योंकि न तो उसके सुनील कुमार का ही कुछ पता चला और न ही उनकी चार की बेटी का…

सालों तक यह मामला पुलिस की फाइलों में धूल खाता रहा. पुलिस की जांच चल तो रही थी, लेकिन केस सुलझने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी. देखते-देखते 9 साल बीत गए, फिर एक दिन अचानक से पुलिस को कुछ सुराग मिला और तुरंत बिहार के लिए रवाना हो गई. 9 साल तक खाक छानने के बाद पुलिस ने आखिरकार 6 मार्च को बिहार के शेखपुरा से सुनील को गिरफ्तार कर लिया.

9 सालों तक सुनील का कोई सुराग नहीं मिला तो पुलिस ने उसे 2019 में घोषित अपराधी (प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर) घोषित कर दिया था. उसकी गिरफ्तारी के लिए 25,000 रुपये का इनाम भी रखा गया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया, ‘स्थानीय पुलिस ने आरोपी के खिलाफ अदालत में पीओ चार्जशीट दाखिल की थी, जिसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया. क्राइम ब्रांच पुराने और गंभीर मामलों की जांच करती है, और जब इस केस में लंबे समय से कोई प्रगति नहीं हुई, तो ब्रांच ने इसे अपने हाथ में लिया.’

करीब छह महीने पहले क्राइम ब्रांच को केस सौंपा गया था. अधिकारियों ने घटना स्थल का दोबारा मुआयना किया, गवाहों से पूछताछ की और जमीनी स्तर पर जांच शुरू की. डीसीपी (क्राइम ब्रांच) आदित्य गौतम के अनुसार, ‘जांच के दौरान हमें पता चला कि आरोपी बिहार में छिपा हो सकता है. हमारी टीम ने उसके गांव के आसपास जानकारी जुटाई, स्थानीय लोगों से संपर्क किया और उन जगहों की पहचान की जहां वह काम की तलाश में जा सकता था.’

ASI सुरेश गुप्ता को गुप्त सूचना मिली कि आरोपी शेखपुरा में छिपा हुआ है. तुरंत एक टीम वहां भेजी गई और छह महीने की लगातार कोशिशों के बाद सुनील कुमार को पकड़कर दिल्ली लाया गया. पूछताछ में सुनील कुमार ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उसने बताया कि उसका अपनी पत्नी के साथ अक्सर झगड़ा होता था, जिससे वह परेशान हो गया था. इस तनाव से छुटकारा पाने के लिए उसने पत्नी की हत्या करने का फैसला किया. हत्या के बाद, वह लाश को ठिकाने लगाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन फिर वहां से फरार हो गया और अपनी बेटी को भी साथ ले गया.

पिछले नौ सालों में फरार रहने के दौरान, सुनील कुमार दिल्ली, पटना और फरीदाबाद के बीच लगातार ठिकाने बदलता रहा. उसने रेलवे स्टेशनों और जूते बनाने वाली फैक्ट्रियों में काम किया. पुलिस से बचने के लिए उसने कभी मोबाइल फोन नहीं रखा और जब उसे शक हुआ कि पुलिस उसकी तलाश में है, तो वह शेखपुरा में जाकर छिप गया. लेकिन आखिरकार, पुलिस की मेहनत रंग लाई और नौ साल बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

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