Friday, June 27, 2025
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पूरा पेड़ ही औषधि; सप्तपर्णी है नाम… इन लोगों के लिए वरदान, बड़ी-बड़ी बीमारियों का कर देता है काम तमाम!


अर्पित बड़कुल/दमोह. बुंदेलखंड इलाके के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाने वाला ये औषधीय पौधा किसी वरदान से कम नहीं है. आयुर्वेद में इसे सप्तपर्णी के नाम से जाना जाता है. इसकी हरी पत्तियों में कई तरह की गम्भीर बीमारियों को चुटकी बजाते ही ठीक करने की क्षमता है. इसमें दिसंबर से मार्च तक छोटे-छोटे हरे और सफेद रंग के फूल निकल आते हैं, जिनसे खास सुगंध आती है.

दरअसल, इस पौधे की छाल ग्रे रंग की होती है. वैसे तो इसका उपयोग पारंपरिक तौर पर पुराने दस्त, पेट दर्द, सांप काटने के उपचार, दांतों के दर्द और पेचिस सहित हजारों बीमारी के इलाज के लिए किया जाता है, लेकिन इस पौधे की पत्तियों का उपयोग बेरीबेरी (विटामिन बी 1 की कमी के कारण होने वाली बीमारी) के इलाज के लिए किया जाता है. खुले घावों को ठीक करने या फिर पीलिया तक के उपचार में सप्तपर्णी के हरे पत्तों को प्रभावी औषधि के रूप में जाना जाता है.

कई दवाओं में होता है इस्तेमाल
इसकी छाल को मलेरिया को ठीक करने के लिए सदियों से प्रयोग में लाया जाता रहा है. सप्तपर्णी, जहां एक ओर कई बीमारियों के इलाज में काम आता है. वहीं, इस पौधे में फर्टिलिटी को बढ़ाने की भी क्षमता होती है. आयुर्वेद चिकित्सा डॉ. ब्रजेश कुलपारिया ने बताया कि सप्तपर्णी एक औषधीय प्लांट है, जिसमें सात पत्तों का गुच्छा होता है. जिस कारण इसे सप्तपण कहते हैं. वैसे तो इसका उपयोग सर्दी, खांसी और ज्वर में सबसे ज्यादा किया जाता है. लेकिन वर्ष 2019 में जब पूरा देश कोविड-19 की चपेट में था, तब मरीजों के लिए आयुर्वेदिक मेडिसिन आई थी ‘आयुष 64’. इसमें एक कंटेंट सप्तपण का भी था.

Tags: Ayurveda Doctors, Damoh News, Health, Latest hindi news, Local18, Mp news

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



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