Thursday, June 26, 2025
Google search engine
Homeविश्वपेजर हमला कर इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने याद दिलाया अपना खौफ,...

पेजर हमला कर इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने याद दिलाया अपना खौफ, जानिए 10 बड़े ऑपरेशन


लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर पेजर हैक कर इजरायल एक बार फिर सुर्खियों में है। इन हमलों में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है वहीं 3 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। हिजबुल्लाह ने इजरायल को उसकी ही भाषा में जवाब देने की कसम भी खाई है। इन सब के यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इजरायल ने इतने सटीक हमले करने में कामयाबी कैसे पाई। इस सवाल का जवाब है इजरायल की कातिलाना खुफिया एजेंसी मोसाद। मोसाद को दुनिया की सबसे खतरनाक एजेंसियों में एक माना जाता है जो दुश्मनों को चुन चुन कर मार गिराने की लिए जानी जाती है। खबरों के मुताबिक मोसाद ने हिजबुल्लाह द्वारा इस्तेमाल की जानी वाली पेजर को निशाना बनाते हुए उसे हैक कर यह भीषण हमले करवाए हैं।

क्या है मोसाद

मोसाद इजरायल की खुफिया एजेंसी है। मोसाद को दुनिया भर में गुप्त ऑपरेशंस को अंजाम देने में टॉप खुफिया एजेंसी माना जाता है। इजरायल के तीन बड़े खुफिया संगठन अमन, शिन बेट और मोसाद हैं। इनमें से एक मोसाद के भी दो काउंटर टेररिज्म यूनिट हैं। पहली यूनिट है मेटसाडा जो दुश्मन पर हमला करती है वहीं दूसरी यूनिट किडोन है। इसका काम गुप्त ही रखा जाता है लेकिन यह आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करती है। मोसाद की स्थापना 1949 में हुई थी। इजराइली सरकार ने मोसाद का गठन आतंकवाद से लड़ने के लिए किया था। 1951 के बाद मोसाद इजरायल के प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन आता है और इसकी रिपोर्टिंग भी प्रधानमंत्री को ही होती है। लेबनान में हुए हाल के पेजर हमलों से पहले मोसाद ने पहले भी दुश्मनों को धूल चटाई है।

1. ऑपरेशन फिनाले: एडॉल्फ इचमैन के लिए मोसाद का शिकार (1960):

इचमैन होलोकॉस्ट के दौरान सैकड़ों हज़ारों यूरोपीय यहूदियों के परिवहन और हत्या की सुविधा के लिए जिम्मेदार था। जर्मनी के आत्मसमर्पण के बाद इचमैन को कई देशों की सेनाओं द्वारा तीन बार पकड़ा गया लेकिन हर बार वह भागने में सफल रहा। 1959 के अंत में इज़राइली प्रधानमंत्री बेन गुरियन ने मोसाद के प्रमुख इस्सर हारेल को इचमैन को पकड़ने और इज़राइल वापस लाने का आदेश दिया। मोसाद के 30 लोगों की ने उसे ढूंढ निकाला। टीम ने इचमैन का अपहरण करने की योजना बनाई और 11 मई 1960 की रात मोसाद ने इचमैन को पकड़ लिया। इजराइल पहुंचने के दो दिन बाद डेविड बेन गुरियन ने सार्वजनिक रूप से इचमैन के पकड़े जाने की घोषणा की। इसके बाद इचमैन पर यरूशलेम में मुकदमा चलाया गया उसे 15 आरोपों में दोषी पाया गया और अंततः उसे फांसी पर लटका दिया गया।

2. ऑपरेशन मुरल और याचिन (1961-1964):

जब मोरक्को ने 1956 में फ्रांस से आजादी की घोषणा की तो नए उत्तरी अफ्रीकी राज्य ने अपनी यहूदी आबादी को पूर्ण नागरिकता और मान्यता प्रदान की। हालांकि मोरक्को के यहूदियों को अन्य देशों में प्रवास करने से मना किया गया था। 1961 में प्रवास पर प्रतिबंध हटा लिया गया था फिर भी कई मोरक्को के यहूदी अपनी अनिश्चित स्थिति को लेकर चिंतित थे और इज़राइल और अन्य देशों में जाना चाहते थे। विदेशी संगठनों को मोरक्को से लोगों को बाहर जाने में मदद करने से प्रतिबंधित किया गया था। मोसाद ने एक योजना तैयार की जिसके तहत 600 से अधिक यहूदी बच्चों को चुपके से इज़राइल में भेजा गया। 

ऑपरेशन म्यूरल के खत्म होने के तुरंत बाद, मोसाद ने ऑपरेशन याचिन शुरू किया। राजा सोलोमन के मंदिर के एक स्तंभ के नाम पर ऑपरेशन याचिन ने 1961 और 1964 के बीच मोरक्को से लगभग 1,00,000 यहूदी शरणार्थियों की मदद की। उनमें से अधिकतर लोगों को इज़राइल भेजा गया जबकि कुछ अन्य देश जैसे फ्रांस, कनाडा और अमेरिका चले गए।

3. ऑपरेशन एन्टेबे (1976):  

मोसाद के सबसे प्रसिद्ध ऑपरेशन में युगांडा में हाईजैक एयर फ्रांस की उड़ान से बंधकों को छुड़ाना शामिल था। मोसाद ने महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी दी थी और इजरायली कमांडो ने एक साहसिक छापे में 100 से अधिक बंधकों को सफलतापूर्वक बचाया गया था।

4. ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड (1972-1988): 

म्यूनिख ओलंपिक नरसंहार के बाद मोसाद ने फिलिस्तीनी समूह ब्लैक सितंबर के सदस्यों और इजरायली एथलीटों पर हमले में शामिल अन्य लोगों को निशाना बनाकर एक के बाद एक हत्या कर बदला लिया था।

5. ऑपरेशन ओपेरा (1981): 

हालांकि इजरायली वायु सेना ने इराक के ओसिरक परमाणु रिएक्टर को नष्ट कर दिया था लेकिन मोसाद ने साइट पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसे इजरायल के लिए संभावित खतरे के रूप में देखा गया था।

6. महमूद अल-मबौह की हत्या (2010): 

दुबई में वरिष्ठ हमास सैन्य कमांडर महमूद अल-मबौह की हत्या में मोसाद के एजेंट शामिल थे, जिन्होंने बिना पकड़े गए ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए अत्याधुनिक साधनों का इस्तेमाल किया।

7. ऑपरेशन डायमंड (1966): 

मोसाद ने एक इराकी पायलट को देश छोड़कर सोवियत निर्मित मिग-21 लड़ाकू विमान को इजरायल ले जाने के लिए राजी किया जिससे इजरायली वायु सेना को अमूल्य खुफिया जानकारी मिली।

8. ऑपरेशन मूसा (1984-1985): 

मोसाद ने अकाल के दौरान इथियोपियाई यहूदियों (बीटा इजरायल) को इजरायल ले जाने के लिए गुप्त रूप से अभियान चलाया जिसमें हजारों लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया था।

9. इमाद मुगनीह की हत्या (2008): 

हिजबुल्लाह के एक वरिष्ठ कमांडर, मुगनीह की दमिश्क में एक कार बम विस्फोट में हत्या कर दी गई थी ऐसा माना जाता है कि इस ऑपरेशन में सीआईए के साथ मोसाद का हाथ था।

10. अबू जिहाद की हत्या (1988): 

मोसाद ने इजरायली कमांडो के साथ मिलकर ट्यूनीशिया में एक छापा मारा, जिसमें पीएलओ के दूसरे नंबर के कमांडर अबू जिहाद को मार गिराया गया, जो इजरायल के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाने के लिए जिम्मेदार था।



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments