Sunday, June 29, 2025
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पेशे से शिक्षक नहीं, पर शिक्षा को समर्पित किया है जीवन, एम्स नर्सिंग ऑफिसर, दुकानदार हेडकांस्टेबल जानें इनकी कहानी


ज्ञान देने वाला गुरु होता है वो किसी कॉलेज या स्कूल में ही पढ़ाता हो ये जरूरी नहीं। पठन और पाठन के लिए बस लगन की जरूरत होती है। शिक्षक दिवस के मौके पर हम कुछ ऐसे गुरुओं की कहानी लेकर आए हैं, जो पेशे से शिक्षक भले ना हों मगर शिक्षा की लौ जलाए हुए हैं। यहां जाने कुछ ऐसे ही लोगों की कहानी-

यमुना बैंक मेट्रो के पास फ्लाईओवर के नीचे राजेश शर्मा डेढ़ दशक से मजदूर वर्ग के बच्चों के लिए निशुल्क स्कूल चला रहे हैं। बच्चों के चेहरे पर मुस्कान है और माता-पिता के मन में संतोष। यहां से निकले बच्चे विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं।

राजेश बताते हैं कि मेरी पढ़ाई अभाव के कारण बीच में छूट गई और मैं 1988 में हाथरस से दिल्ली आ गया। यहां सब्जी बेची, किराने की दुकान खोली पर बात नहीं बनी। वर्ष 2008 में सबकुछ छोड़कर मजदूरों के बच्चों के लिए स्कूल शुरू किया। आज इसमें 160 बच्चे हैं। मेरे साथ दो और साथी हैं। इसका नाम फ्री स्कूल है। जिसे शिक्षा नहीं मिलती वह यहां पढ़ सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 39वें एपिसोड में इस स्कूल का जिक्र किया था।

झुग्गियों में शिक्षा के दीप जला रहे नर्सिंग अफसर

एम्स के नर्सिंग ऑफिसर अमित कुमार ने उन बच्चों की शिक्षा का बीड़ा उठाया है, जिनके लिए शिक्षा सपना है। अमित ने शुरुआत झुग्गियों के बच्चों को मुफ्त पढ़ाने से की, बाद में 2016 में ‘जॉइन टुगेदर ट्रस्ट’ की नींव रखी। ट्रस्ट से जुड़े उनके दोस्त वॉलंटियर के रूप में आठ स्थानों पर रोजाना 500 बच्चों को मुफ्त शिक्षा देते हैं। यह ट्रस्ट अब तक 2000 से ज्यादा बच्चों को साक्षर बना चुका है। 500 का स्कूल में दाखिला कराया है।

थान सिंह की पाठशाला बदलाव ला रही

लालकिला पुलिस चौकी पर तैनात हेडकांस्टेबल थान सिंह कानून-व्यवस्था की ड्यूटी करने के साथ-साथ आसपास रहने वाले श्रमिकों के बच्चों को पढ़ाते हैं। 2014 से लाल किला परिसर में चल रहे स्कूल को लोग थान सिंह की पाठशाला के नाम से जानते हैं। मजदूरों के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते थे, उन्हें देखकर थान सिंह ने अपने स्तर पर पढ़ाई की व्यवस्था शुरू की। इस काम में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का भी खूब सहयोग मिला।



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