बीते कुछ दिनों से बांग्लादेश में कानून का शासन ताक पर है। बांग्लादेश की सड़कों पर भीड़ द्वारा किए जाने वाले ‘इंसाफ’ का चलन बढ़ गया है। भीड़ जो चाहे, वह कर रही है। कभी भीड़ अपने राष्ट्रपति का बुत गिरा दे रही है तो कभी बांग्लादेश में बनाए गए संग्रहालों को जला दे रही है। हाल के दिनों में भीड़ द्वारा की जाने वाली हत्याओं की घटनाओं में भी तेजी आई है। ऐसी भयावह स्थिति के बाद बांग्लादेश की यूनुस सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 38 दिन में 21 लोगों की जान ली गई है। इस स्थिति ने जनता की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। अधिकांश घटनाओं पर मामला दर्ज किया गया है, लेकिन अभी तक केवल आठ लोगों को ही दो मामलों में गिरफ्तार किया गया है। कानूनी विशेषज्ञों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि अंतरिम सरकार की प्रतिक्रिया अभी तक अपर्याप्त रही है और अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई में विफल रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती घटनाएं यह संकेत देती हैं कि बांग्लादेश में कानून और व्यवस्था पूरी तरह से ताक पर है। बुधवार रात और गुरुवार की सुबह के बीच केवल तीन घंटे में बांग्लादेश के दो प्रमुख विश्वविद्यालयों में दो लोगों की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई। बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक जनवरी से जून 2023 के बीच 32 लोग भीड़ के हाथों मारे गए थे।
वहीं मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के शासन में 11 अगस्त से लेकर अब तक 14 जिलों में 21 लोग मारे गए हैं। इनमें से 12 को चोरी, डकैती या लूट के आरोप में मारा गया, जबकि अन्य 9 लोगों को विभिन्न अपराधों के आरोप में मौत के घाट उतारा गया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि 11 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि दो घटनाओं पर कोई मामला नहीं दर्ज हुआ। कई अधिकारियों ने बताया कि अधिकारियों के बार-बार तबादले और संसाधनों की कमी के कारण इन मामलों की सही जांच करना मुश्किल हो रहा है।