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बांग्लादेश में आर्मी अफसरों को क्यों मिली न्यायिक शक्ति, 16 धाराओं से जुड़े मामलों में करेंगे फैसला ‘ऑन द स्पॉट’


अधिसूचना के मुताबिक, महानगरीय क्षेत्रों के बाहर के क्षेत्रों में सेना को न्यायिक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। मंत्रालय द्वारा जारी गजट अधिसूचना के अनुसार सेना के पात्र अधिकारी पूरे देश में जिला मजिस्ट्रेटों की देखरेख में कार्यकारी मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य कर सकेंगे।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, ढाकाTue, 17 Sep 2024 05:17 PM
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पड़ोसी देश बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश की सेना के अधिकारियों को पूरे देश में एग्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट की शक्ति दी है। एक गजट नोटिफिकेशन के जरिए सेना के कमीशन प्राप्त अधिकारियों को यह शक्ति दी गई है। यह व्यवस्था अगले दो महीने तक जारी रहेगी। वहां के लोक प्रशासन मंत्रालय ने मंगलार को इस बारे में एक गजट अधिसूचना प्रकाशित की है।

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अधिसूचना के मुताबिक, महानगरीय क्षेत्रों के बाहर के क्षेत्रों में सेना को न्यायिक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। मंत्रालय द्वारा जारी गजट अधिसूचना के अनुसार सेना के पात्र अधिकारी पूरे देश में जिला मजिस्ट्रेटों की देखरेख में कार्यकारी मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य कर सकेंगे। सेना के मजिस्ट्रेट दंड प्रक्रिया संहिता 1898 की धारा 65, 83, 84, 86, 95(2), 100, 105, 107, 109, 110, 126, 127, 128, 130, 133 और 142 के तहत अपराधों के संबंध में अपनी गतिविधियाँ संचालित करेंगे।

बांग्लादेश की दंड प्रक्रिया संहिता के अनुसार इन धाराओं के तहत किसी मुजरिम की गिरफ्तारी का आदेश या उसे किसी मुचलके पर ऑन स्पॉट छोड़ने का आदेश या फिर बॉन्ड भरवाने का आदेश एग्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट देते हैं। अब उन्ही की तर्ज पर अगले 60 दिनों तक सेना के कमीशन प्राप्त अधिकारी देशभर में ऑन स्पॉट फैसला करेंगे और संबधित लोगों को उनके कथित जुर्म के लिए गिरफ्तारी या रिहाई का आदेश दे सकेंगे। माना जा रहा है कि छात्र आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को ये अधिकारी देखेंगे।

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बता दें कि पिछले जुलाई में कोटा प्रणाली के खिलाफ छात्रों ने शेख हसीना सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। छात्रों के आंदोलन और विरोध-प्रदर्शनों के दौरान बड़े पैमाने पर हिसक झड़प की घटनाओं के बाद शेख हसीना सरकार ने देशभर में सेना को तैनात कर दिया था और 19 जुलाई को देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया था। बावजूद इसके छात्रों का आंदोलन छम नहीं सका। यह आदोलन इतना उग्र हो या कि 5 अगस्त को शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा और हिन्दुस्तान आकर शरण लेनी पड़ी। इसके बाद 8 अगस्त को डॉ. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली।



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