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सीतामढ़ी और शिवहर में 2018 से गैंगवार जारी है, जिसमें संतोष झा की हत्या के बाद कई लोग मारे गए. संतोष झा ने नक्सली संगठन से शुरुआत की और इंजीनियरों को निशाना बनाया. अब विकास झा गैंगवार चला रहे हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
- सीतामढ़ी और शिवहर में 2018 से गैंगवार जारी है.
- संतोष झा की हत्या के बाद कई लोग मारे गए.
- विकास झा अब गैंगवार चला रहे हैं.
सीतामढ़ी. बिहार में इन दिनों गैंगवार का मामला सुर्खियों में है. ऐसे में आज हम सीतामढ़ी और शिवहर से जुड़े गैंगवार की कहानी बताने जा रहे हैं. यह गैंगवार 2018 से शुरू हुआ जिसके प्रतिशोध में अब तक आधा दर्जन से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. सबसे पहले इस गैंगवार में उत्तर बिहार के हार्डकोर क्रिमिनल जो डॉन के नाम से भी जाने जाते थे शिवहर जिले के दोस्तीयां गांव निवासी संतोष झा की हत्या हुई थी. अब हम आपको यह भी बताने वाले हैं कि संतोष झा कौन थे और अपराधी कैसे बने, शुरुआत दौर में इनके निशाने पर कौन-कौन रहा और इस गैंग को अभी कौन चला रहा है. बता दें कि यह गैंग अभी तक खत्म नहीं हुआ है और एक दूसरे के प्रतिशोध में आज भी लड़ाई जारी है.
इस संबंध में सीतामढ़ी के वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ कुमार बताते हैं कि सीतामढ़ी जिले में 2004 से पहले काफी शांति थी. मतलब एक तरह से लोग कह सकते हैं कि अपराध मुक्त सीतामढ़ी और शिवहर दोनों जिले थे. नक्सली गतिविधि तो होती थी, लेकिन कोई आपराधिक गतिविधि नहीं होती थी. 2004 से पहले संतोष झा शिवहर जिला के रहने वाले हैं. संतोष झा की बहन के साथ बहुत सारा अत्याचार हुआ था. जिसके प्रतिशोध के लिए संतोष झा ने उनकी बहन के अत्याचार में शामिल लोगों से बदला लेने के लिए नक्सली संगठन ज्वाइन किया. नक्सली बनने के बाद उन्होंने उनकी बहन प्रताड़ित करने में जिन लोगों का इंवॉल्वमेंट था उन लोगों की हत्या की और उसके बाद फिर वह नक्सली गतिविधि से अलग हो गए.
संतोष के निशाने पर ज्यादातर इंजीनियर
इसके बाद अपना एक गिरोह बनाया जिसका नाम था ‘बिहार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ वह जिसके चीफ बने और उन्होंने खास तौर पर इंजीनियर और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को टारगेट किया और रंगदारी की मांग करने लगे. रंगदारी नहीं देने पर कई इंजीनियरों की हत्या हुई. जिसमें सबसे चर्चित डबल इंजीनियर हत्याकांड रहा. जिसके कारण यह भी कहा जाने लगा कि सीतामढ़ी और शिवहर के विकास में संतोष झा बाधा बन रहे हैं. 6 महीना में जो काम होने वाला होता था, वह 6 साल में नहीं हो पता था. जिसमें सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर एनएच भी शामिल है. बेलसंड का मारर पुल है. ये बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था, जो संतोष झा के कारण पूरा नहीं होता था. अमिताभ कुमार ने बताया कि संतोष झा अपने संगठन में नए-नए लोगों को शामिल करने लगे और एक तरह से नौकरी देने लगे. अपने गिरोह में जो जैसा काम करता था, उसके अनुसार वेतन देते थे. अगर कोई बड़ा शूटर था तो उसको 20 से ₹25000 दिया जाता था.
2018 में गैंगवार में मारे गए संतोष झा
2004 के बाद पूरी तरह संतोष झा अपराधी घटनाओं को अंजाम देने लगे और 2018 में डुमरा कोर्ट परिसर में पुलिस कस्टडी में ही उनकी हत्या हो गई. दरअसल, उन्हीं के गिरोह के मुकेश पाठक पर इसका इल्जाम लगाया गया. जो अभी उत्तर बिहार के बहुत बड़े गैंगस्टर माने जाते हैं. फिलहाल जेल में बंद होने के कारण भूमिगत है. संतोष की हत्या में उनका नाम आया था. संतोष झा की हत्या एक ठेकेदारी को लेकर हुई, जिसमे कई लोग संतोष के विरोध में खड़े हुए. उसमें उनका साथ मुकेश पाठक ने दिया, ऐसा संतोष झा गैंग का मानना है. चुकी, मुकेश पाठक कभी संतोष झा गैंग में सबसे बड़े शूटर माने जाते थे. फिलहाल, संतोष झा के हत्या का बदला लेने और उनके स्थान पर काबिज करने के लिए तिहाड़ जेल में बंद विकास झा उर्फ कालिया आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. हत्या को अंजाम देने के बाद खुद उसकी हत्या का इल्जाम अपने माथे ले रहे है.
प्रतिशोध में अब तक आधा दर्जन हत्या हो गई हैं
वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ कुमार बताते हैं कि पुलिस रिकॉर्ड और आम लोगों के बीच भी ये चर्चा है कि इसमें विकास का नाम है, जो तिहाड़ जेल से हैंडल कर रहा है. संतोष झा की हत्या में जो लोग शामिल थे उनमें कई लोगों की हत्या हो चुकी है तो कई लोगों के हत्या के आशंका जताई जा रही है. इसमें सबसे बड़ी घटना श्री नारायण सिंह जो शिवहर के नया गांव के रहने वाले थे और चर्चित मुखिया और बाहुबली मुखिया के नाम से जाने जाते थे. उनकी हत्या हुई. वह भी जब वह विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे और जनता के बीच में थे. इसी तरह उनके एक बड़े भाई जो मुजफ्फरपुर में प्रॉपर्टी डीलर का काम करते थे, उनकी हत्या हुई. उसके बाद सीतामढ़ी के विश्वनाथपुर गान का रहने वाला गैंगस्टर रामजी राय की हत्या हुई. जिस पर दर्जनों हत्या के केस दर्ज हैं, उसकी हत्या का भी इल्जाम संतोष झा गैंग ने लिया.
दोनों गैंग के निशाने पर एक दूसरे लोग
इसके बाद, जिले के छोटे-छोटे आपराधिक गिरोह एक जुट होकर सीतामढ़ी के चर्चित मुखिया मुन्ना मिश्रा की हत्या हुई. वह विकास झा गिरोह से जुड़ा है और उनके इशारे कर कई छोटे-छोटे गैंग के सदस्यों की हत्या हुई है. मुन्ना मिश्रा के हत्या के बाद रीगा थाना क्षेत्र में बाइक चेकिंग के दौरान रोशन नाम का एक लड़का पकड़ा गया, जिसके पास से पिस्टल बरामद हुई थी और उसने जो बयान दिया है. उस बयान के अनुसार यह है कि दो बड़े गैंगस्टर की मौत हुई है, उसमें मुन्ना मिश्रा का महत्वपूर्ण भूमिका है. अब छोटे-छोटे सारे गिरोह मिलकर के एक संगठन बना कर विकास झा के सामने में खड़ा होना चाहते हैं.
Sitamarhi,Sitamarhi,Bihar
January 28, 2025, 18:02 IST