Tuesday, September 16, 2025
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बिहार में शुरू हुई ‘बीज मसाले की योजना’, अब किसान मसाले उगाकर बढ़ा सकेंगे अपनी कमाई


बिहार सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य की ओर एक और ठोस कदम उठाया है. अब परंपरागत खेती के साथ किसान मसालों की खेती से भी अच्छी कमाई कर सकेंगे. इसके लिए सरकार ने ‘बीज मसाले की योजना’ शुरू की है, जिसके तहत किसानों को धनिया, मेथी, सौंफ, मंगरैला और अजवाइन की खेती के लिए आर्थिक मदद दी जाएगी.

इस योजना के तहत राज्य के सभी 38 जिलों में किसानों को प्रति हेक्टेयर 50,000 की लागत का 40 फीसदी यानी 20,000 तक का अनुदान मिलेगा. यह अनुदान दो किस्तों में दिया जाएगा. यह योजना न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ाएगी, बल्कि उन्हें मसाले की फसलों की ओर भी प्रेरित करेगी, जिनकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है.

कौन ले सकता है योजना का लाभ?
इस योजना का फायदा उन्हीं किसानों को मिलेगा जिनके पास कम से कम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) और अधिकतम 5 एकड़ (2 हेक्टेयर) जमीन है. किसानों को भूमि स्वामित्व से संबंधित प्रमाणपत्र जैसे राजस्व रसीद, वंशावली या एकरारनामा प्रस्तुत करना होगा. गैर-रैयत किसान भी एकरारनामा के आधार पर योजना का लाभ ले सकते हैं. यह एकरारनामा निर्धारित प्रारूप में होना चाहिए, जो ऑनलाइन पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है.

कैसे करें आवेदन?
सबसे पहले किसानों को DBT पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा. इसके बाद horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ‘बीज मसाले की योजना’ में आवेदन करना होगा. आवेदन ‘पहले आओ-पहले पाओ’ के आधार पर स्वीकार किए जाएंगे.

किन बातों का रखें ध्यान?
किसानों को DBT में रजिस्टर्ड बैंक खाता और उससे संबंधित विवरण की जांच खुद करनी होगी, ताकि अनुदान सीधे उनके खाते में ट्रांसफर हो सके. किसानों का चयन सामान्य श्रेणी में 78.537%, अनुसूचित जाति के लिए 20% और अनुसूचित जनजाति के लिए 1.463% कोटा के तहत किया जाएगा. इसके साथ ही हर श्रेणी में 30% महिला किसानों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी.

कहां से मिलेगा बीज?
बीज की आपूर्ति राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, पटना और बिहार राज्य बीज निगम द्वारा की जाएगी. बीज प्राप्त करते समय किसान को एक जियो-टैग्ड सेल्फी लेनी होगी, जिसमें संबंधित अधिकारी और आपूर्तिकर्ता भी साथ दिखें, और उसे पोर्टल पर अपलोड करना होगा.

क्यों है यह योजना खास?
मसालों की खेती परंपरागत फसलों की तुलना में ज्यादा मुनाफा देती है. साथ ही इसमें पानी की कम जरूरत होती है और फसल जल्दी तैयार हो जाती है. ऐसे में बिहार सरकार की यह योजना किसानों के लिए ‘सोने पर सुहागा’ साबित हो सकती है.

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