नई दिल्ली: केंद्र सरकार लगातार सेना को ताकतवर बनाने के लिए अथक प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में भारत जल्द ही खुद के ह्यूमन-पोर्टेबल एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम का परीक्षण करने की तैयारी कर रहा है, जो बहुत कम दूरी पर दुश्मनों के विमानों, ड्रोन व हेलिकॉप्टरों को नष्ट कर देगा. फिलहाल डिफेंस फोर्स ऐसी ही रूसी मिसाइलों का इस्तेमाल का इस्तेमाल कर रहा है. इस तरह की मिसाइलों के माध्यम से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सैन्य टकराव में परिचालन संबंधी कमियों को दूर करने की कोशिश की जा रही है.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा, ‘6 किमी तक की दूरी पर कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित बहुत कम दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORDS) अप्रैल-मई तक सशस्त्र बलों के लिए टेस्टिंग के लिए पेश की जानी चाहिए.’ उन्होंने कहा, “स्वदेश में विकसित चौथी पीढ़ी के VSHORADS भारतीय सशस्त्र बलों में मौजूदा MANPADS (मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम) से तकनीकी रूप से बेहतर है. क्योंकि इसमें अत्याधुनिक अनकूल्ड इमेजिंग इंफ्रारेड सीकर है.”
केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद ने पिछले साल जनवरी में 1,920 करोड़ रुपये की लागत से डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकास के तहत इन्फ्रारेड होमिंग VSHORADS मिसाइलों की खरीद के लिए “आवश्यकता की स्वीकृति” दी थी. अधिकारी ने कहा, “एक बार जब VSHORADS उपयोगकर्ता-परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लेगा, जिसमें कुछ समय लगेगा, तो थोक उत्पादन किया जा सकता है.”

समानांतर रूप से, कुछ भारतीय कंपनियां “मेक-II” श्रेणी परियोजना के तहत “लेजर-बीम राइडिंग VSHORADS” के विकास पर काम कर रही हैं, जहां प्रोटोटाइप विकास को उद्योग द्वारा वित्त पोषित किया जाता है. VSHORADS एक कम लागत वाला विकल्प प्रदान करता है जिसे ऊबड़-खाबड़ ऊंचाई वाले क्षेत्रों के साथ-साथ समुद्री क्षेत्र में महत्वपूर्ण संपत्तियों की नजदीकी वायु रक्षा सुरक्षा के लिए तेजी से तैनात किया जा सकता है. एक अधिकारी ने कहा, “उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अपनी परिचालन बहुमुखी प्रतिभा और उपयोगिता साबित की है.”
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FIRST PUBLISHED : January 4, 2024, 06:54 IST