Monday, March 10, 2025
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बोला- काम आसान है, पैसा भी तगड़ा मिलेगा… वह बन गई सीमापुरी के अंधेरे की ‘रानी’, फिर आई 5 मार्च की रात, और…


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Delhi Crime News: गरीब और हालात से मजबूर ‘के’ वह रास्‍ता चुन लिया, जिससे आज तक कोई वापस नहीं आ पाया. कुछ दिनों के लिए तो वह एक अंधेरे की ‘रानी’ बन गई, लेकिन उसका नतीजा…

बोला- काम आसान है, पर पैसा तगड़ा.. वह बन गई सीमापुरी के अंधेरे की 'रानी', फिर

हाइलाइट्स

  • माता-पिता ने मुक्ति पाने के लिए कर दी रिक्‍शेवाले शादी.
  • चोरी के आरोप में पिछले कई महीनों से जेल में है पति.
  • चुना ऐसा रास्‍ता जहां से कोई वापस आना है बहुत मुश्किल.

Delhi Crime News: दिल्ली के सीमापुरी की तंग गलियों में, जहां हर कोने में ज़िंदगी की जद्दोजहद बसी थी, वहीं कहीं ‘के’ की कहानी भी सांस ले रही थी. 30 साल की ‘के’ का बचपन संघर्षों में बीता और मुसीबतों ने उसे बहुत जल्द बड़ा कर दिया. गरीबी ने उसे मजबूर किया और हालात ने उसे वो रास्ता दिखाया, जहां लौटने का कोई रास्ता नहीं था.

माता-पिता ने जिम्‍मेदारियों से छुटकारा पाने के लिए उसकी शादी एक रिक्शा वाले से कर दी. मगर क़िस्मत की मार ऐसी थी कि पति चोरी के आरोप में जेल चला गया. बीते 13 महीनों से ‘के’ अकेली थी. न जीने का सहारा, न खाने का ठिकाना. जब पेट की आग बुझाने का कोई और रास्ता न दिखा, तो उसे दोस्‍त की शक्‍ल में एक शैतान मिल गया था.

यह शैतान दिल्ली के अंधेरे गलियारों का वह सौदागर था, जो मासूम ज़िंदगियों को अपने जाल में फंसाने के लिए मशहूर था. ‘काम आसान है, पैसा तगड़ा मिलेगा…’ शैतान ने यही कहा था, जब पहली बार उसने ‘के’ को फंसाने के लिए अपना जाल फेंका था. और फिर वही हुआ, जो अक्सर ऐसी कहानियों में होता है. पहले छोटे-छोटे सौदे, फिर नशे का बड़ा कारोबार.

और वह बन गई अंधेरे का हिस्‍सा
देखते ही देखते ही ‘के’ अब सीमापुरी के अंधेरे का हिस्सा बन चुकी थी. वह 5 मार्च की रात थी. शाहदरा ज़िले की एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स को एक इंटेल मिला कि सीमापुरी की निसरिया मस्जिद के पास हेरोइन की अवैध तस्करी हो रही है. सूचना पक्की थी. इस पर तुरंत कार्रवाई करने का फैसला किया गया. इंस्पेक्टर अजय के नेतृत्व में टीम बनी.

इस टीम में एसआई सत्यदेव पंवार, एसआई सतीश कुमार, एएसआई हिटलर सिंह, हेड कांस्टेबल संजीव, हेड कांस्टेबल विनय कुमार, कांस्टेबल दीपक गुप्ता और महिला कांस्टेबल शिवानी भी शामिल थी. ऑपरेशन की पूरी निगरानी एसीपी गुरदेव सिंह और डीसीपी शाहदरा कर रहे थे. टीम ने पूरी सतर्कता बरतते हुए निसरिया मस्जिद के पास घेराबंदी कर दी.

घुप अंधेरे में गली की दीवारों से सटी खड़ी टीम इंतज़ार कर रही थी. तभी एक संदिग्ध महिला आती हुई नजर आई. उसने फटे-पुराने कपड़े पहने थे, पर चाल में अजीब आत्मविश्वास था. मुखबिर ने इशारा किया- यही है ‘के’! मुखबिर से इशरा मिलते ही टीम ने फौरन महिला को रोका. उसने भागने की कोशिश की, लेकिन कांस्टेबल शिवानी ने झपटकर उसे पकड़ लिया.

NDPS एक्ट में हो चुकी है गिरफ्तार
महिला कांस्टेबल शिवानी ने प्रोटोकॉल के तहत उसकी तलाशी ली. उसकी पैंट के अंदर एक छोटे सफेद रंग के पॉलीथिन पैकेट में कुछ संदिग्ध मिला. जब उसे खोलकर देखा गया तो अंदर 12.48 ग्राम हेरोइन निकली. थाने में लाने के बाद ‘के’ से पूछताछ की गई. धीरे-धीरे उसने अपने जुर्म कबूल करने शुरू कर दिए. बोली – मेरा आदमी जेल में है… बच्चा बीमार था… पैसे नहीं थे… मजबूरी में यह काम किया!

लेकिन इंस्पेक्टर अजय कुमार सिंह को उसकी बातें अधूरी लगीं. यह पहली बार नहीं था जब वह पकड़ी गई थी. पिछले साल भी वह NDPS एक्ट में गिरफ्तार हो चुकी थी! वह केवल एक प्यादा थी. उसके पीछे कोई बड़ा रैकेट था. उसने कबूल किया कि वह दिल्ली के कुछ बड़े सप्लायर्स से माल लेकर सीमापुरी और आस-पास के इलाकों में छोटे स्तर पर बेचती थी. टीम ने के’ के बताए ठिकानों पर लगातार छापेमारी शुरू की. धीरे-धीरे दिल्ली के एक बड़े ड्रग नेटवर्क का खुलासा होने लगा.

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