जब से मालदीव में चीन के पिछलग्गू कहे जाने वाले मोहम्मद मुइज्जू की सरकार बनी है, तब से भारत के साथ द्वीप राष्ट्र के रिश्तों में खटास आ गई है। कई मौकों पर मालदीव ने भारत का बहिष्कार किया है, जिससे भारत के साथ उसके रिश्ते बिगड़ से गए हैं। मालदीव के साथ संबंधों के खराब होने के बाद भारतीय सैलानियों ने मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है। मालदीव में भारतीय सैलानियों की कमी से पर्यटन उद्योग को झटका लगा है। मालदीव में पहले बड़ी संख्या में भारतीय पर्यटकों की आमद होती थी, वह अब काफी गिर गई है। आंकड़ों के मुताबिक 24 सितंबर 2023 तक सिर्फ 88,202 भारतीय पर्यटक मालदीव पहुंचे जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 1,46,057 थी। इस गिरावट के चलते मालदीव का पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ है क्योंकि 57,855 भारतीय सैलानी कम आए।
क्यों भारतीय सैलानियों ने मोड़ा मालदीव से मुंह
भारतीय सैलानियों की कमी के पीछे कई वजहें हैं। सबसे बड़ा कारण मालदीव के तीन उप-मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट करना रहा है। इस घटना के बाद भारत में कुछ सामाजिक संगठनों और लोगों ने मालदीव के बहिष्कार का आह्वान किया। भले ही इन मंत्रियों को बाद में निलंबित कर दिया गया लेकिन भारतीय सैलानियों की संख्या में गिरावट आनी शुरू हो गई। साथ ही मालदीव में राजनीतिक बदलाव भी इस गिरावट का कारण बने।
चीन के साथ संबंधों से आई भारत के साथ रिश्ते में खटास
नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का चीन समर्थक रुख और भारत से दूरी बनाने की कोशिशें चर्चा में हैं। मुइज्जू पर आरोप है कि वे चीन के करीबी हो रहे हैं जिसके चलते भारत और मालदीव के संबंधों में खटास आई है। इस राजनीतिक बदलाव का असर भारतीय पर्यटकों के रुझान पर पड़ा है और उन्होंने मालदीव की यात्रा कम कर दी है।
मुइज्जू के कई जतन हो रहे नाकाम
पर्यटन उद्योग को फिर से पटरी पर लाने के लिए मालदीव सरकार ने कई कदम उठाए हैं। “वेलकम इंडिया” अभियान इसी दिशा में एक प्रयास है जिसके तहत भारतीय पर्यटकों को फिर से आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है। सरकार चाहती है कि भारतीय सैलानी फिर से मालदीव की तरफ रुख करें जिससे पर्यटन उद्योग में आई गिरावट को संभाला जा सके। इसके साथ ही मालदीव में चीनी और पश्चिमी यूरोपीय पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है जिससे पर्यटन मंत्रालय को थोड़ा सहारा मिला है। इन सैलानियों की बढ़ती संख्या से उद्योग में कुछ हद तक स्थिरता आई है।