लोन नहीं चुकाने पर एक व्यक्ति के विरुद्ध जारी लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) को दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए रद कर दिया कि दो कारों का ऋण न चुकाने पर उसके मौलिक अधिकार नहीं छीने जा सकते. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि एलओसी उस व्यक्ति के खिलाफ जारी की जाती है, जिस पर आईपीसी के तहत संज्ञेय आरोप हो, ताकि जांच अधिकारियों और अदालत के समक्ष उसकी उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके.
ऐसे में कोर्ट की राय है कि दो कारों के लोन के भुगतान न करने पर किसी के मौलिक अधिकारों को नहीं छीना जा सकता है. इन तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी एलओसी को रद किया जाता है. दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यह अदालत याचिकाकर्ता के विरुद्ध एलओसी जारी करने के लिए अधिकारियों को दोषी भी नहीं ठहरा सकती, क्योंकि पहले वह जांच एजेंसी या अदालतों के सामने पेश नहीं हो रहा था और उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था.
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याचिकाकर्ता ने वर्ष 2013 में दो कारें खरीदने के लिए भारतीय स्टेट बैंक से 13 लाख और 11.9 लाख रुपये का ऋण लिया था. इसके बाद में वह राशि का न तो पुनर्भुगतान कर रहा था और बैंक के नोटिसों का जवाब देना बंद कर दिया था. इस पर बैंक ने याची के विरुद्ध कार्यवाही शुरू की और उसके विरुद्ध एलओसी जारी की गई.
याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए एलओसी रद्द करने की मांग की कि वह जांच में सहयोग करेगा और सुनवाई में उपस्थित रहेगा.
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Tags: Car loan, DELHI HIGH COURT
FIRST PUBLISHED : October 28, 2023, 13:16 IST