रूस को यूक्रेन के खिलाफ जंग का मोर्चा शुरू किए शुरू लगभग तीन साल का समय हो गया है। दोनों देशों के हजारों सैनिकों और आम नागरिकों की मौत और भारी तबाही के बावजूद इस जंग का अंत नजदीक नहीं दिख रहा है। इस बीच अब एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूस युद्ध के लिए लंबी दूरी के हमलावर ड्रोन विकसित करने और उत्पादन में चीन की मदद ले रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक रूस की सरकारी हथियार कंपनी अल्माज-एंटे की सहायक कंपनी IEMZ कुपोल ने स्थानीय विशेषज्ञों की मदद से चीन में गारपिया-3 (G3) नाम के एक नए ड्रोन मॉडल का परीक्षण किया था। यह जानकारी कंपनी ने इस साल की शुरुआत में रूसी रक्षा मंत्रालय को दी थी। कंपनी ने रक्षा मंत्रालय को एक अपडेट में बताया कि वह चीन में एक कारखाने में G3 सहित ड्रोन का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में सक्षम है ताकि हथियारों को यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान में इस्तेमाल किया जा सके।
रॉयटर्स की इस रिपोर्ट में यूरोपीय खुफिया एजेंसी के सूत्रों और दस्तावेजों के हवाले से यह जानकारी दी गई है। रूस ने इन खबरों पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उन्हें ऐसी किसी योजना के बारे में जानकारी नहीं है। साथ ही उसने यह भी कहा कि चीन ने ड्रोन के निर्यात पर सख्त नियंत्रण उपाय किए हैं। इस मामले पर व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने कहा कि वह ड्रोन प्रोग्राम की इस रिपोर्ट से बहुत चिंतित है। अमेरिका ने कहा है कि यह चीन की यह जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि कंपनियां रूस को जंग के लिए हथियारों की डिलिवरी न करें।
रूस ने इज़ेव्स्क में ली थी चीन में निर्मित सैन्य ड्रोन की डिलीवरी
रक्षा मंत्रालय को भेजी गई कुपोल की रिपोर्ट के मुताबिक G3 गार्पिया-A1 ड्रोन का लेटेस्ट मॉडल है। उन्होंने कहा कि गार्पिया-A1 के ब्लूप्रिंट पर काम करने वाले चीनी विशेषज्ञों ने इसे डिजाइन किया था। कुपोल ने कहा था कि आठ महीने के अंदर चीन में 400 किलोग्राम के पेलोड के साथ REM 1 अटैक यूएवी का उत्पादन करने के लिए तैयार हो जाएगी। यूरोपीय खुफिया स्रोतों ने कहा कि यह प्रणाली अमेरिकी रीपर ड्रोन के समान होगी। G3 ड्रोन 50 किलो के पेलोड के साथ लगभग 2,000 किमी (1,200 मील) की यात्रा कर सकता है। इसमें कहा गया है कि G3 और चीन में बने कुछ अन्य ड्रोन मॉडल के नमूने परीक्षण के लिए रूस पहुंचाए गए हैं। वहीं दो अलग-अलग दस्तावेज़ों के मुताबिक रूसी कंपनी ने रूस के इज़ेव्स्क शहर में अपने मुख्यालय में दो G3 सहित चीन में निर्मित सात सैन्य ड्रोन की डिलीवरी ली है।
क्या है आगे का प्लैन
एक अलग दस्तावेज़ से पता चला है कि कुपोल एक संयुक्त रूसी-चीनी ड्रोन अनुसंधान और उत्पादन केंद्र स्थापित करने की भी योजना बना रहा है। दस्तावेज़ में कहा गया है कि 80 हेक्टेयर का “एडवांस्ड यूएवी रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग बेस” हर साल 800 ड्रोन का उत्पादन करने में सक्षम होगा। पिछले हफ़्ते रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि उनकी सेना को 2023 में लगभग 140,000 ड्रोन मिले हैं और रूस ने इस साल इस संख्या को दस गुना बढ़ाने की योजना बनाई है।ड्रोन उत्पादन के बारे में सेंट पीटर्सबर्ग में एक बैठक में उन्होंने कहा, “जो युद्ध के मैदान में मांगों को जल्द से जल्द पूरा करता है वही जीतता है।”
‘दोहरे मानदंड नहीं अपनाता है चीन’
चीन ने कई बार इस बात से इनकार किया है कि चीन या चीनी कंपनियों ने यूक्रेन में उपयोग के लिए रूस को हथियार दिए हैं। चीन ने कहा है कि वह जंग में हमेशा से न्यूट्रल है। रिपोर्ट के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन की स्थिति हथियारों की बिक्री पर दोहरे मानदंडों वाले दूसरे देशों की तरह नहीं है। मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि रूस के साथ चीन के व्यापार पर कोई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध नहीं हैं। जंग के दौरान बढ़ते उपयोग को देखते हुए रूस और यूक्रेन दोनों ही ड्रोन के उत्पादन को बढ़ा रहे हैं।