रोजमेरी एक सुगंधित और औषधीय पौधा है, जिसकी मांग भारत में लगातार बढ़ रही है. यूरोप से आया यह पौधा अब भारतीय किसानों और घरों की पसंद बन रहा है. मसाले, दवाइयों और ब्यूटी प्रोडक्ट्स में इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसकी पत्तियों से बनने वाला तेल महंगे दामों पर बिकता है, जिससे यह कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली खेती बन गया है.
रोजमेरी उगाने के लिए हल्की और रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. पौधे को 6 से 8 घंटे सीधी धूप चाहिए होती है. इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती हफ्ते में दो से तीन बार हल्का पानी पर्याप्त है. रोजमेरी को बीज से भी उगाया जा सकता है, लेकिन कटिंग से लगाए गए पौधे जल्दी और बेहतर विकसित होते हैं.
घर की बालकनी, टैरेस या गार्डन में छोटे गमलों में रोजमेरी आसानी से उगाई जा सकती है. गमले में छेद होना जरूरी है ताकि पानी जमा न हो. मिट्टी में बालू और खाद मिलाकर पौधा लगाया जाता है. इसे रसोई के पास उगाकर ताजी पत्तियों का इस्तेमाल चाय, सब्ज़ी और मसाले के रूप में किया जा सकता है. कम लागत में केवल गमला, मिट्टी और थोड़ी खाद लेकर इसे घर पर तैयार किया जा सकता है.
इन कामों में होता है इस्तेमाल
रोजमेरी स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है. यह पाचन शक्ति को मजबूत करती है, तनाव और थकान कम करती है और बाल झड़ने की समस्या को रोकती है. इसके तेल का इस्तेमाल शैम्पू, साबुन और परफ्यूम में किया जाता है. एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने की वजह से यह दवाइयों में भी उपयोगी है. इसकी पत्तियां और तेल बाजार में ऊंचे दाम पर बिकते हैं, जिससे यह किसानों और घरों के लिए कमाई का जरिया बन सकती है.
पौधे के पास खरपतवार न पनपने दें. समय-समय पर ऑर्गेनिक खाद डालते रहें. ज्यादा पानी न दें, वरना जड़ सड़ने का खतरा रहता है. यदि पौधे पर कीट लग जाएँ तो नीम का तेल या जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें. उचित देखभाल करने पर यह पौधा दो से तीन साल तक लगातार हरा-भरा रहता है और उपज देता रहता है.
ये है बेस्ट समय
भारत में रोजमेरी ठंडी और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह उगती है. अक्टूबर से फरवरी तक इसे लगाने का सबसे अच्छा समय है. अधिक बारिश या कड़ाके की ठंड इसे नुकसान पहुंचा सकती है. गर्मियों में हल्की छांव और नियमित सिंचाई की जरूरत पड़ती है. सही मौसम चुनने से पौधा तेजी से बढ़ता है और बेहतर क्वालिटी की पत्तियां देता है.
तेज बारिश के समय पौधे को पॉलीहाउस या शेड नेट के नीचे रखना चाहिए. कड़ाके की ठंड में गमले को घर के अंदर धूप वाली जगह शिफ्ट करना फायदेमंद होता है. गर्मियों में पौधों को नियमित पानी और हल्की छांव देना जरूरी है. इन उपायों से रोजमेरी मौसम की मार से बची रहती है और लंबे समय तक अच्छी उपज देती है. यही कारण है कि यह पौधा खेती और घरेलू उपयोग दोनों के लिए लाभकारी साबित होता है.
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