दिल्ली. सड़क हादसे में किसी की मौत हो जाती है, तो पुलिस जांचकर दो धाराओं के तहत केस दर्ज करती है. यह निर्भर करता है कि हादसा किन स्थितियों में हुआ है. अभी तक एक धारा 304 और दूसरी 304 ए है. इन्हीं के तहत मामला दर्ज होता है. आम आदमी को एक बारगी दोनों धाराएं एक जैसी लग रही होंगी लेकिन सजा में काफी फर्क है. एक में केवल दो साल की सजा है तो दूसरी में 10 साल तक की सजा. आप भी सड़क हादसों में दर्ज होने वाली दोनों धाराओं के संबंध में जानें…
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आईपीएस डा. ईराज रजा बताते हैं कि अभी तक सड़क हादसों में 304 और 304 ए के तहत मामला दर्ज होता है. लेकिन ज्यादातर मामलों में 304 ए के तहत ही मामला दर्ज होता है. लापरवाही की वजह से हुआ हादसा इसी धारा के तहत आता है. इसमें केवल दो साल की अधिकतम सजा मिलती है और थाने से खड़े-खड़े जमानत मिल जाती है. उदाहरण के लिए चालक ने लालबत्ती जंप की और आगे कोई गाड़ी आ गयी, हादसा हो गया, जिसमें किसी की मौत हो गयी. इसमें माना जाता है कि चालक ने लापरवाही की है.
वहीं, धारा 304 के तहत तब मामला दर्ज किया जाता है, जब चालक खतरनाक ड्राइविंग कर रहा हो, शराब पीकर या रांग साइड गाड़ी चला रहा हो और हादसे में किसी की मौत हो जाए तो धारा 304 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. इसमें धारा 304 के साथ धारा 279 लापरवाही और धारा 338 खतरनाक ड्राइविंग भी लगायी जाती है. आरोपी को थाने से बेल नहीं मिलती है, उसे जेल जाना ही होता है और इसमें 10 साल तक की सजा हो सकती है. डा. ईराज रजा बताते है हिट एंड रन कानून अच्छा है. इसे लागू कर सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या को कम किया जा सकता है.
वहीं, ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के कोर कमेटी के अध्यक्ष बाल मल्कीत सिंह बताते हैं कि सरकार को एक ऐसा नंबर जारी करना चाहिए, जो केवल हादसों की सूचना देने के लिए हो. यह नंबर सभी ट्रकों पर दर्ज हो. जिससे हादसा होने के बाद चालक कहीं पर रुककर उस नंबर पर सूचना दे दे और हादसे की चपेट में आए व्यक्ति को तुरंत उपचार मिल सके. उसकी जान बच जाए.
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FIRST PUBLISHED : January 4, 2024, 23:32 IST