Sunday, June 29, 2025
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हिजबुल्लाह और इजरायल में 40 साल पुरानी दुश्मनी, अब किस पाप की सजा भुगत रहा लेबनान


सोमवार को लेबनान में इजरायली सेना ने एक साथ 1600 ठिकानों पर हवाई हमले कर लाशों का ढेर लगा दिया। 35 बच्चों समेत करीब 500 लोग मारे गए। लेबनान पर यह पिछले दो दशक में सबसे भीषण हमला है। लेबनान में ताजा रक्तपात हालिया घटित पेजर और वॉकी-टॉकी हमले के बाद हुआ है। हिजबुल्लाह और इजरायल की 40 साल पुरानी दुश्मनी है। 1980 में बेरूत में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के खात्मे से शुरू हुई जंग आज लेबनान अटैक से फिर शुरू हो गई हैं। हिजबुल्लाह लगातार दावा करता रहा है कि पिछले साल 7 अक्तूबर को इजरायल पर हुए हमलों में उसका हाथ नहीं है तो फिर लेबनान किस पाप की सजा भुगत रहा है।

पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद इजरायल और आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के बीच तनाव अभूतपूर्व स्तर पर बढ़ गया है। हालांकि हिजबुल्लाह ने कहा है कि दक्षिणी इजरायल पर हमले से उसका कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन उसने गाजा में हमास का समर्थन करना जारी रखा है, यही वजह है कि इजरायल लेबनान को दूसरा गाजा बनाने में जुट गया है। इजरायली सेना ने सोमवार को पहले अटैक में ही अपने विध्वंसकारी इरादे जता दिए। इजरायली हमलों में 40,000 से अधिक गाजावासी मारे जा चुके हैं और लगभग पूरी आबादी विस्थापित हो गई है।

इजरायल के दुश्मनों ने किया हिजबुल्लाह का गठन

इज़रायली खुफिया एजेंसियों और हिजबुल्लाह की दुश्मनी 40 साल से भी ज़्यादा पुरानी है। 1980 के दशक की शुरुआत में इज़रायल ने फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) को उखाड़ फेंकने के लिए लेबनान पर हमला किया था। हालांकि इज़रायल ने पीएलओ को बेरूत से हटने के लिए मजबूर करके शुरुआती जीत हासिल की, लेकिन नवंबर 1982 में इज़रायल को हिजबुल्लाह का प्रकोप झेलना पड़ा। इजरायली शहर में शिन बेट के मुख्यालय को एक बड़े विस्फोट में उड़ा दिया गया। इस हमले में 91 लोग मारे गए। हमलावरों ने आत्मघाती कार से बम विस्फोट किया था। इसे उग्रवादी शिया इस्लामवादियों ने अंजाम दिया। इसी ने 1983 को हिजबुल्लाह का गठन किया।

हिजबुल्लाह का इतिहास

1983 में ईरान के समर्थन से शिया इस्लामवादियों ने हिजबुल्लाह का गठन किया और इसके साथ ही उसने इजरायल को अपना सबसे बड़ा दुश्मन घोषित कर दिया। गुरिल्ला युद्ध और गुप्त अभियानों में माहिर इस संगठन ने लेबनान के भीतर और बाहर दोनों जगह इज़रायल पर हमले जारी रखे। 1980 और 1990 के दशक के दौरान हिजबुल्लाह ने सिर्फ इजरायल ही नहीं बेरूत में अमेरिकी और फ्रांसीसी सैन्य बैरकों पर भी बमबारी की।

40 साल से चल रही लड़ाई

1990 के दशक की शुरुआत में जब इजरायली बलों ने हिजबुल्लाह नेता अब्बास अल-मुसावी की हत्या की तो इसने अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में इजरायली दूतावास और एक यहूदी सामुदायिक केंद्र पर बमबारी करके जवाबी कार्रवाई की। उसमें 100 से अधिक लोग मारे गए। हालांकि, इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने भी बेरहमी से जवाब दिया। कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं में मोसाद ने हिजबुल्लाह और ईरानी गुर्गों को निशाना बनाया।

मोसाद के हाई प्रोफाइल ऑपरेशन

हिजबुल्लाह के सैन्य कमांडर इमाद मुगनीह इजरायली खुफिया एजेंसियों के खास निशाने पर थे। मुगनीह को लेबनान में 1983 में हुए बम विस्फोटों सहित कई हाई-प्रोफाइल हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है, लेकिन वह दशकों तक पकड़ से दूर रहा। 2008 में इजरायली सेना ने सीआईए के साथ मिलकर दमिश्क में कार बम लगाकर मुगनीह को मार डाला। हिजबुल्लाह ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायली दूतावासों और नागरिकों को निशाना बनाने के कई प्रयास किए। 2012 में बुल्गारिया में आत्मघाती बस विस्फोट में पांच इजरायलियों को मार डाला। इसी साल जुलाई में इजरायल ने हिजबुल्लाह के दो कमांडरों फुआद शुक्र और इब्राहिम अकील को मार सफलतापूर्वक खत्म कर दिया।



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