Monday, February 24, 2025
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15 साल रही पीएम, बांग्लादेश को एक बार सैन्य शासन से बचाया; कौन हैं शेख हसीना


जुलाई से प्रदर्शन की आग में सुलग रहे बांग्लादेश में अब संकट और गहराता जा रहा है। भारी प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सरकारी नौकरी में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया और हिंसक घटनाओं में मारे गए लोगों को न्याय दिलवाने और हसीना के इस्तीफे की मांग के साथ यह प्रदर्शन और उग्र हो गए। सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने हसीना के सरकारी आवास पर हमला बोल दिया जिसके बाद पीएम को देश छोड़ना पड़ा है। उनके भारत में शरण लेने की खबरें हैं।

शेख हसीना लगातार 15 साल से देश की प्रधानमंत्री थी। वह बांग्लादेश में सबसे ज्यादा समय तक इस पद पर रहने वाली शख्स भी हैं। 76 साल की हसीना ने इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री के रूप में पांचवां कार्यकाल संभाला था। इस चुनाव का विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया था और इल्जाम लगाया था और कहा था कि चुनाव निष्पक्ष तरीके से नहीं कराए गए थे। बांग्लादेश को आजादी दिलाने में अहम योगदान देने वाले क्रांतिकारी शेख मुजीबुर की बेटी हसीना ने देश में तेज़ आर्थिक विकास की अगुआई की है। पिछले साल उन्होंने पूरे बांग्लादेश को समृद्ध और विकसित देश बनाने का वादा किया था। हालांकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में लगभग 1 करोड़ 80 लाख युवा बेरोजगार हैं। कौन हैं शेख हसीना?

परिवार की हो गई थी हत्या

हसीना 27 वर्ष की थीं और विदेश यात्रा पर थीं जब विद्रोही सैन्य अधिकारियों ने 1975 में तख्तापलट में उनके पिता प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान, उनकी मां और तीन भाइयों की हत्या कर दी थी। वह छह साल तक बाहर रहने के बाद अपने पिता की अवामी लीग पार्टी की बागडोर संभालने के लिए लौटीं। इसके बाद लगभग एक दशक तक संघर्ष चला जहां उन्हें लंबे समय तक नजरबंद रखा गया। हसीना ने 1990 में सैन्य तानाशाह हुसैन मुहम्मद इरशाद को हटाने में मदद करने के लिए खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के साथ हाथ मिलाया। लेकिन जल्द ही वे अलग हो गए और उनके बीच की प्रतिद्वंद्विता ने बांग्लादेशी राजनीति पर हावी हो गई। हसीना ने पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल पूरा किया लेकिन पांच साल बाद जिया से हार गईं। इसके बाद 2007 में सैन्य समर्थित सरकार ने तख्तापलट के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों में दोनों को जेल में डाल दिया।

2009 से पीएम पद पर काबिज, लोकप्रियता के कई कारण

अगले साल आरोप हटा दिए गए और उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत मिल गई। हसीना ने भारी मतों से जीत हासिल की और तब से सत्ता में थी। हसीना के समर्थक उन्हें अक्सर देश की आर्थिक स्थिति सुधारने का श्रेय देते हैं। 1971 में पाकिस्तान से आज़ादी मिलने के बाद दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में से एक बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था 2009 से हर साल औसतन छह प्रतिशत से ज़्यादा की दर से बढ़ी है। गरीबी में भारी गिरावट आई है और देश के 17 करोड़ लोगों में से 95 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों के पास अब बिजली की सुविधा है। 2021 में प्रति व्यक्ति आय भारत से आगे निकल गई है। हसीना को पड़ोसी म्यांमार में 2017 में सैन्य कार्रवाई से भागकर आए सैकड़ों हज़ारों रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए बांग्लादेश के दरवाज़े खोलने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली थी।

क्यों शुरू हो गया विरोध

इन सब के बावजूद उनकी सरकार पर विरोध की आवाज को दबाने के आरोप लगे हैं। देश के 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ़ अपराधों के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद पिछले एक दशक में पांच शीर्ष नेताओं और एक वरिष्ठ विपक्षी नेता को फांसी पर चढ़ा दिया गया। अमेरिका ने 2021 में बांग्लादेश के सुरक्षा बलों की एक शाखा और उसके सात शीर्ष अधिकारियों पर व्यापक मानवाधिकार हनन के आरोपों पर प्रतिबंध लगाए थे। बढ़ते विरोध के बीच हसीना ने जोर देकर कहा कि उन्होंने अपने देश के लिए काम किया है। वहीं पिछले महीने सरकारी नौकरी में कोटा के खिलाफ आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों की तुलना उन्होंने रजाकार से की थी। इस हिंसा के बाद देश-विदेश से हसीना को आलोचना झेलनी पड़ी है और उन पर इल्जाम लगे हैं कि उन्होंने जरूरत से ज्यादा बल का इस्तेमाल किया।



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