Monday, June 30, 2025
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20 मिनट में 8 लाख का काम… चकाचक‌‌ चल रहा था धंधा, 5000 लोगों का कर चुके थे बेड़ा पार, फिर…


एक तरफ जहां आम लोगों को चंद हजार रुपये कमाने में महीने लग जाता है. वहीं दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो महज 20 मिनट में 8 लाख रुपये काम कर जाता था. ये लोग फर्जी वीजा बनाने की फैक्ट्री चला रहे थे, जहां बस 8 मिनट में एक वीजा छाप लिया जाता था, जिसके एवज में वह 8 लाख रुपये लेते थे. इन लोगों का धंधा एकदम चकाचक चल रहा था और 5000 लोगों को विदेश भी भेज चुके थे, लेकिन एयरपोर्ट पर एक गलती से उनकी सारी कारिस्तानी कच्चे धागे की तरह खुल गई.

पुलिस के मुताबिक, दिल्ली के तिलक नगर इलाके में पिछले 5 सालों से ये फैक्ट्री चल रही थी, जहां से फर्जी वीजा बनवाकर 4 से 5 हजार लोग विदेश जा चुके हैं. इस तरह गैंग के लोगों ने करीब 300 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाए हैं. पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है.

स्वीडिश वीजा से खुली पोल
डीसीपी आईजीआई ऊषा रंगरानी ने इस पूरे गोरखधंधे का खुलास करते हुए बताया, इसी साल 2 सितंबर को कुरुक्षेत्र के रहने वाला संदीप नाम का एक शख्स फर्जी स्वीडिश वीजा पर इटली जाने की फिराक में था, लेकिन इमिग्रेशन चेकिंग के दौरान उसकी जालसाजी पकड़ी गई. पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि उसके गांव के कई लड़के नौकरी की चाहत में ऐसे ही फर्जी वीजा पर विदेश जा चुके हैं. उसने एक एजेंट आसिफ अली का नाम बताया, जिसके जरिये 10 लाख रुपये में उसने फर्जी वीजा हासिल किया था. इसके बाद पुलिस ने आसिफ अली के अलावा उसके साथियों शिवा गौतम और नवीन राणा को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस के मुताबिक, शिवा ने पूछताछ में एजेंट बलवीर सिंह का नाम बताया, जिसके बाद पुलिस ने बलबीर सिंह और जसविंदर सिंह को गिरफ्तार किया गया. उन दोनों ने बताया कि फर्जी वीजा मनोज मोंगा तैयार करता है. उसकी तिलक नगर में फैक्ट्री है, जहां कई देशों के फर्जी वीजा बनाए जाते हैं.

ग्राफिक्स डिजाइनिंग में डिप्लोमा होल्डर था सरगना
फिर पुलिस ने तिलक नगर में छापा मारकर मनोज मोंगा को गिरफ्तार कर लिया. मोंगा ने ग्राफिक्स डिजाइनिंग में डिप्लोमा कर रखा था और करीब 5 साल पहले उसकी मुलाकात जयदीप सिंह नाम के शख्स से हुई. जयदीप ने मनोज को कहा कि वो अपने हुनर का इस्तेमाल फर्जी वीजा बनाने में करे. जयदीप ने मनोज को फर्जी वीजा बनाने का सामान मुहैया कराया.

पुलिस के मुताबिक, ये गैंग हर महीने 30 से 60 वीजा तैयार करते थे. वह महज 20 मिनट में वीजा स्टिकर तैयार कर लेते थे. यहां एक वीजा बनाने का 8 लाख रुपया लिया जाता था. ये गिरोह टेलीग्राम, सिग्नल और वॉट्सएप के जरिये आपस में बातचीत किया करते थे. पुलिस के मुताबिक इस सिंडिकेट के हर जगह लोकल एजेंट है, जो विदेश में नौकरी की चाहत रखने वाले लोगों से संपर्क करते थे.

पुलिस ने आरोपियों के पास से 18 पासपोर्ट, 30 फर्जी वीजा और भारी मात्रा में वीजा बनाने का सामान बरामद किया है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कैसे अलग-अलग एयरपोर्ट पर लोग जांच एजेंसियों को चकमा देकर फर्जी वीजा पर विदेश यात्रा के लिए चले जाते थे.

Tags: Delhi police, IGI airport, Transit visa



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