नई दिल्ली. इजरायल एम्बेसी के बाहर आज शाम हुए धमाके के बाद भारतीय जांच एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं. भले ही मौका-ए-वारदात से पुलिस को फिलहाल कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है लेकिन भारत में इजरायलियों पर हमलों का इतिहास इतना पुराना है कि जांच एजेंसियां इसे हल्के में लेने की गलती नहीं करने वाली हैं. साल 2008 में मुंबई धमाकों के दौरान पाकिस्तान से आए आतंकियों ने इजरायली मूल के लोगों को निशाना बनाया था. साल 2012 में दिल्ली में इजरायली दूतावास के अधिकारियों पर हुए हमले से भी हर कोई वाकिफ है.
साल 2012 में इजरायली दूतावास की एक कार पर बाइक सवार आतंकियों ने स्टिकी बम से हमला किया था. यह भारत में हुआ अपने तरीके का पहला हमला था. इस घटना में एक इजरायली दूतावास के अधिकारी की पत्नी और ड्राइवर समेत कुल चार लोग घायल हो गए थे. दिल्ली पुलिस आज तक भी इस हमले की गुत्थी को सुलझा नहीं पाई है. जांच अधिकारियों का कहना था कि मोटरसाइकिल पर एक वेल ट्रेंड हमलावर ने अकेले इस आतंकी हमले को अंजाम दिया था. ट्रैफिक का फायदा उठाते हुए उसने रेडलाइट पर इजरायल एम्बेसी की कार पर एक स्टिकी बम जोड़ दिया. मैगनेट युक्त यह बम चुंबक की मदद से एंबेसी की टोयोटा इनोवा कार पर चिपक गया. इसके महज कुछ सेकंड बाद ही यह बम फट गया था. दिल्ली पुलिस को एक दिन बाद लाडो सराय इलाके में एक लाल मोटरसाइकिल मिली है. दावा किया गया कि इसी बाइक का इस्तेमाल हमले में किया गया था.
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पहली बार भारत में स्टिकी बम का इस्तेमाल?
यह पहला मौका था जब भारत में किसी आतंकी वारदात में स्टिकी बम का इस्तेमाल किया गया था. इजरायल दूतावास की कार पर बम चिपकाने के बाद महज तीन सेकंड के अंदर रिमोट की मदद से धमाका कर कार में ब्लास्ट कर दिया गया था. इस धमाके का मकसद इजरायली राजदूतों को निशाना बनाना था. हमलावरों ने जिस तकनीक का इस्तेमाल किया था, उसके बारे में जानकार भारतीय जांच एजेंसियों के भी होश उड़ गए थे.

हथेली के साइज का था बम
जांच के दौरान पता चला कि 2012 के इस हमले में कार पर चुंबकीय टुकड़े पाए गए थे. यह पहली बार है कि भारत में किसी हमले में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है और यह एक नई सुरक्षा चुनौती पैदा कर सकती है. बम का छोटा आकार इसे प्लांट करने वाले के लिए बिना ध्यान में आए दूर भागने में मददगार साबित हुआ था. दूर से इसे ट्रिगर करना आसान हो गया. हथेली के आकार का चिपचिपा बम, जब फेंका जाता है, तो बिना लुढ़के या गिरे पहले ठोस ब्लॉक पर चिपक जाता है, जिसे वह छूता है.
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FIRST PUBLISHED : December 26, 2023, 21:48 IST