विभिन्न रिपोर्ट इस बात का इशारा करती हैं कि पाकिस्तान में राजनीति से लेकर कानून प्रवर्तन एजेंसियां और सार्वजनिक सेवाओं सहित कई क्षेत्रों में भ्रष्टाचार गहराई से समाया हुआ है। इसकी मार आम आदमी को झेलनी पड़ रही है।
पड़ोसी देश पाकिस्तान ने हाल ही में 7 अरब डॉलर के ऋण के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ एक अहम समझौता किया है। बावजूद इसके पाकिस्तानी बुद्धिजीवियों ने आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान की खस्ता हालत और एक-एक रुपये के लिए हो रहे जद्दोजहद पर घोर निराशा जाहिर की है। पाक नागिरकों ने कहा है कि ये लोन भले 7 अरब डॉलर से दोगुना होकर 14 अरब डॉलर हो जाए लेकिन पाकिस्तानियों की हालत नहीं सुधर सकती क्योंकि सियासी भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा है, जो उस रकम को खा-पीकर पचाने के लिए काफी है।
कराची के पत्रकार और बुद्धिजीवी अख्तर शाहीन ने इस मामले में पाकिस्तान की अंदरूनी चुनौतियों को उजागर करते हुए कहा, “मेरी राय में, भले ही ऋण दोगुना करके 14 अरब डॉलर कर दिया जाए, पाकिस्तान की स्थिति तब तक नहीं सुधरेगी जब तक कि सरकार, प्रतिष्ठान और संस्थागत भ्रष्टाचार को खत्म करने का फैसला नहीं करते। अगर हम भ्रष्टाचार को खत्म कर सकते हैं, तो हम पाकिस्तान के उपलब्ध संसाधनों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन कर सकते हैं।”
सरकार से संस्थान तक आकंठ भ्रष्टाचार
दरअसल, पाकिस्तान में भ्रष्टाचार एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है, जो सरकार, आर्थिक विकास और संस्थाओं में जनता के विश्वास को प्रभावित कर रहा है। विभिन्न रिपोर्ट इस बात का इशारा करती हैं कि पाकिस्तान में राजनीति से लेकर कानून प्रवर्तन एजेंसियां और सार्वजनिक सेवाओं सहित कई क्षेत्रों में भ्रष्टाचार गहराई से समाया हुआ है। ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (CPI) 2022 के अनुसार, पाकिस्तान 180 देशों में से 140वें स्थान पर है, जो सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में भ्रष्टाचार की व्यापक सार्वजनिक धारणा को दर्शाता है।
बिजली के लिए पशु बेचने हो मजबूर ग्रामीण
शाहीन ने IMF के दबाव में पाकिस्तान में बढ़ती बिजली दरों पर भी बात की। उन्होंने कहा, “बिजली की लागत दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, जिससे आम लोगों पर असहनीय बोझ पड़ रहा है। लोग निराशा की ओर बढ़ रहे हैं, अपने घर और जमीन बेच रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में, लोग अपने बिलों का भुगतान करने के लिए अपने पशुधन को बेचने के लिए मजबूर हैं। क्या उन्हें यही राहत मिल रही है?”
ARY न्यूज़ के मुताबिक, अगस्त में पाकिस्तान की नेशनल इलेक्ट्रिक पावर रेगुलेटरी अथॉरिटी (NEPRA) ने बिजली शुल्क में 2.56 रुपये प्रति यूनिट की वृद्धि की घोषणा की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान वर्तमान में एक गंभीर बिजली संकट से जूझ रहा है, जिसमें बार-बार बिजली गुल होना, बढ़ती लागत और अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा शामिल है। यह स्थिति घरों और व्यवसायों के लिए दिक्कतें पैदा कर रही हैं, जिससे देशव्यापी असंतोष फैल रहा है।
बता दें कि IMF से 7 अरब लोन पाने के लिए पाकिस्तान सरकार ने हाल के वर्षों में कई बार बिजली की दरें बढ़ाई हैं, ताकि जनता से अतिरिक्त धन उगाही की जा सके। इसके परिणामस्वरूप पूरे पाकिस्तान में उबाल है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, बिजली की कीमतों में वृद्धि से उपभोक्ताओं पर और बोझ बढ़ गया है, जो पहले से ही मुद्रास्फीति और आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।