Thursday, June 26, 2025
Google search engine
Homeविश्वConscription law sparks fear in war-torn Myanmar long queues for visas seem...

Conscription law sparks fear in war-torn Myanmar long queues for visas seem in biggest city Yangon – International news in Hindi


ऐप पर पढ़ें

Myanmar Crisis: भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में दिन-ब-दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं। जुंटा सैन्य शासन ने वहां सभी युवकों और युवतियों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य कर दिया है। इससे वहां का युवा वर्ग दहशत में आ गया है और देश छोड़कर भागने को मजबूर हो उठा है। उनका कहना है कि उन्हें गृह युद्ध के इस माहौल में मरना नहीं है। इसलिए वे जान बचाकर दूसरे देशों की ओर रुख कर रहे हैं। म्यामांर में अनिवार्य सैन्य सेवा का नियम लागू होने के बाद से भगदड़ ऐसी मची है कि म्यांमार के सबसे बड़े शहर यांगून में थाई दूतावास के बाहर कई दिनों से वीजा दस्तावेजों के साथ लोगों की लंबी लाइन देखी जा रही है। 

जुंटा सैन्य शासन ने अपने आदेश में कहा है कि 18 से 35 साल की उम्र वर्ग के सभी पुरुषों और 18 से 27 वर्ष की आयुवर्ग की सभी महिलाओं को कम से कम दो साल तक सेना में अनिवार्य सेवा देनी होगी। इसके अलावा 45 वर्ष की उम्र तक वाले डॉक्टरों और अन्य विशेषज्ञों को तीन साल तक सेना में अनिवार्य सेवा देनी होगी। सरकारी आदेश में शनिवार को कहा गया है कि आपातकाल की स्थिति में इस अनिवार्य सेवा को कुल पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है।

CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना में भर्ती होने की अनिवार्यता से बचने वाले युवाओं को तीन से पांच साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। ऐसे में वहां के युवा अब यह पता लगाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं कि सैन्य बैरक में जबरन भेजे जाने से कैसे बचें? कुछ तो जल्दबाजी में घर-परिवार को छोड़कर दूसरे देशों में जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, जबकि कुछ युवा विद्रोही प्रतिरोधी बलों में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं ।

विश्लेषकों का कहना है कि अनिवार्य सैन्य भर्ती का कानून वैसे तो 2010 से ही बना हुआ है लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका था। अब इस कानून के लागू होने से युवाओं को अपनी ही पीढ़ी के खिलाफ बंदूक उठाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। विश्लेषकों को संदेह है कि इस कानून का इस्तेमाल मानवाधिकारों के हनन को उचित ठहराने के लिए भी किया जा सकता है। उनके मुताबिक ऐसी स्थिति में म्यामांर से पलायन बढ़ सकता है और पड़ोसी देशों में शरणार्थियों की सम्या में बढ़ सकती है।

बता दें कि साल 2021 में सेना ने तख्तापलट कर वहां की निर्वाचित सरकार को हटा दिया था, तब से म्यामांर में अशांति और अराजकता का माहौल है। पिछले साल अक्टूबर से ही सेना और लोकतंत्र समर्थकों के बीच संघर्ष जारी है। लोकतंत्र समर्थकों को जातीय अल्पसंख्यक विद्रोही समूहों का गठबंधन भी साथ दे रहा है। इनकी एकजुटता से म्यांमार की सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments