Sunday, June 29, 2025
Google search engine
Homeदेशपैरोल पर बाहर आया दोषी अब नहीं कर पाएगा यह काम, हाईकोर्ट...

पैरोल पर बाहर आया दोषी अब नहीं कर पाएगा यह काम, हाईकोर्ट ने POCSO मामले में दिया अहम फैसला


जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक अहम आदेश में यह स्‍पष्‍ट कर दिया कि यौन अपराधों से जुड़े मामलों में दोषी और पीड़िता का आमना-सामना उचित नहीं हैं. बेंच ने कहा कि बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत दोषी ठहराया गया व्यक्ति उसी शहर या गांव में पैरोल की अवधि नहीं गुजार सकता, जहां पीड़िता रहती है. न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे मामलों में जहां दोषी और पीड़ित एक ही शहर या गांव में रहते हैं, उनमें दोषी को पैरोल अवधि कहीं और गुजारनी होगी.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोषी और पीड़िता को आमने-सामने नहीं आना चाहिए क्योंकि इससे पीड़िता को अपनी आपबीती याद आएगी जिसे वह भूलना चाहती है. तीन वर्षीय बच्ची से बलात्कार के दोषी सहीराम ने जिला स्तरीय पैरोल समिति, नागौर द्वारा उसके प्रथम पैरोल आवेदन को अस्वीकार किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था. वह अजमेर जेल में सज़ा काट रहा है.

यह भी पढ़ें:- सिर पर टोपी, माथे पर तिलक…सैंकड़ों मुसलमानों ने विश्‍वनाथ मंदिर में किए दर्शन, बोले- राम, कृष्ण और शिव हमारे नबी

कोर्ट ने दोषी को दी राहत
उसके वकील ने दलील दी कि समिति ने प्रथम पैरोल के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज करके कानूनी त्रुटि की है और कहा कि अस्वीकृति के लिए लिया गया आधार प्रासंगिक नहीं है. अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) अनिल जोशी ने प्रार्थना पर आपत्ति जताते हुए अपराध की गंभीरता का हवाला दिया. अदालत ने सहीराम को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और पांच-पांच हजार रुपये की दो जमानत पर 20 दिनों के लिए प्रथम पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया और शर्त लगाई कि वह पीड़िता के गांव नहीं जाएगा, भले ही वहां उसका घर या परिवार क्यों न हो.

(भाषा के इनपुट के साथ)

Tags: Pocso act, Rajasthan high court, Rajasthan news



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments