Sunday, February 23, 2025
Google search engine
Homeविश्वpakistan supreme court accepts mistake on zulfikar ali bhutto death penalty -...

pakistan supreme court accepts mistake on zulfikar ali bhutto death penalty – International news in Hindi


ऐप पर पढ़ें

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 44 साल पहले फांसी पर लटकाए गए पूर्व पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो को मिली सजा के मामले में गलती मानी है। अदालत ने कहा कि 1979 में जुल्फिकार अली भुट्टो को सैन्य शासन में फांसी दी गई थी। उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा चल रहा था, लेकिन उनके खिलाफ ट्रायल सही से नहीं चला। बीते कई सप्ताह से इस मामले में सुनवाई चल रही थी और सोमवार को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। चीफ जस्टिस काजी फैज इसा ने कहा, ‘हम नहीं मानते कि जुल्फिकार अली भुट्टो के खिलाफ सही से केस चला था और न ही पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया।’

जुल्फिकार अली भुट्टो को मिली सजा के फैसले पर समीक्षा याचिका 2011 में पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दायर की थी। आसिफ अली जरदारी रिश्ते में भुट्टो के दामाद हैं और अब उनकी बनाई पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के मुखिया भी हैं। जुल्फिकार अली भुट्टो की सजा को लेकर पाकिस्तान के राजनीतिक हलकों में बहस चलती रही है कि उन्हें जल्दबाजी में फांसी की सजा दी गई थी और उनके खिलाफ सही से ट्रायल नहीं चलाया गया। इसी मामले में जरदारी ने केस दायर किया था। जिस पर सुनवाई के बाद अब 13 साल बाद फैसला आया है

न्याय की हत्या हुई; पाकिस्तान में पूर्व PM की फांसी पर 44 साल बाद बहस

इस याचिका की सुनवाई 9 सदस्यों वाली संवैधानिक बेंच ने की। अदालत में सुनवाई के दौरान एक वकील ने तो यहां तक कहा कि भुट्टो के खिलाफ हत्या का केस नहीं चला बल्कि केस की हत्या हुई थी। इस मामले में ऐतिहासिक फैसले के बाद आसिफ अली जरदारी ने कहा कि हमारे परिवार की तीन पीढ़ियों ने अदालत के इन शब्दों को सुनने के लिए इंतजार किया। अदालत अब इस मामले में डिटेल ऑर्डर जारी करेगी। पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठन भी मानते रहे हैं कि जिया उल हक के 11 सालों के शासन में तानाशाही का दौर था और लोकतंत्र को खत्म किया गया। 

पूर्व पीएम के करीबी रहे लंदन स्थित राजनीतिक विश्लेषक यूसुफ नजर ने कहा कि जिया के दौर में लोकतंत्र खत्म हो गया था। पूरी तरह से सैन्य कानून लागू थे और किसी को भी सजा दी जा रही थी। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में उस दौर में पीपीपी के कार्यकर्ताओं को मार डाला गया और उन्हें अपमानित किया गया। यही नहीं नजर ने कहा कि जिया उल हक का ही दौर था, जब पाकिस्तान धार्मिक कट्टरता की ओर तेजी से बढ़ा। देश में आतंकवाद ने पनाह ली और अफगानिस्तान के बहाने आतंकवाद की पौध पैदा हो गई। 



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments