नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. आईयूएमएल का कहना है कि ‘सीएए असंवैधानिक, मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण’ है.
आयूएमल ने अपनी याचिका में कहा कि नागरिकता संशोधन नियम, 2024 मनमाने हैं और केवल धार्मिक पहचान के आधार पर व्यक्तियों के एक वर्ग के पक्ष में अनुचित लाभ पैदा करते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है. इसमें यह भी कहा गया है कि सीएए के प्रावधानों को चुनौती देने वाली लगभग 250 याचिकाएं शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं और अगर सीएए को असंवैधानिक माना जाता है, तो एक असामान्य स्थिति उत्पन्न होगी. जिन लोगों को लागू अधिनियम और नियमों के तहत नागरिकता मिल गई होगी, उनकी नागरिकता छीननी होगी.
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IUML ने कहा, ‘इसलिए, सीएए और लागू नियमों के कार्यान्वयन को तब तक के लिए स्थगित करना, प्रत्येक व्यक्ति के सर्वोत्तम हित में है, जब तक कि न्यायालय मामले का फैसला नहीं कर देता.’
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बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू कर दिया है. इसके अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिमों को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी. सीएए के तहत इन देशों से आए हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान शामिल है. संसद के दोनों सदनों से सीएए 11 दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था. इसके एक दिन बाद राष्ट्रपति की ओर से इसे मंजूरी दे दी गई थी. यह कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे.
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Tags: CAA, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : March 12, 2024, 14:03 IST