Sunday, June 29, 2025
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Explainer: अगर आपके पास ये दस्तावेज हैं तो सीएए के तहत मिल जाएगी भारत की नागरिकता


हाइलाइट्स

पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिमों को आसानी से मिलेगी नागरिकता.
नियम कहते हैं कि आवेदकों को कुछ दस्तावेज प्रदान करने होंगे और भारत में प्रवेश की तारीख बतानी होगी. 
ये कानून उन्हें खुद ब खुद नागरिकता नहीं देता बस उन्हें इसके आवेदन के लिए योग्य बनाता है.

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को देश में नागरिकता संशोधन नियम (CAA) की अधिसूचना जारी कर दी. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है. सीएए के लागू होते ही अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, ईसाई और जैन समुदाय (गैर मुस्लिम) के लोगों को आसानी से नागरिकता मिलेगी. हालांकि यह कानून गैर दस्तावेज वाले लोगों को नागरिकता की सुविधा प्रदान करता है, लेकिन नियम कहते हैं कि आवेदकों को कुछ दस्तावेज प्रदान करने होंगे और उन्हें भारत में प्रवेश की तारीख बतानी होगी. 

सीएए को दिसंबर, 2019 में संसद के दोनों सदनों में पास कर दिया गया था. बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी. नियमानुसार संसद में किसी बिल के पास होने के बाद जब राष्ट्रपति के साइन हो जाते हैं तो उसके छह महीने के अंदर अधिसूचना जारी करके उसे कानून का जामा पहना देना चाहिए, लेकिन ऐसा सीएए के साथ ऐसा नहीं हुआ. क्योंकि सरकार हर बार इस कानून को लेकर कमेटियां बनाती रही और उसके लागू करने के समय को छह-छह महीने आगे बढ़ाती रही. 

ये भी पढ़ें- Explainer: संसद में पास होने के बाद कितने दिनों में कानून लागू करना होता है, सीएए में क्यों हुई इतनी देर

नागरिकता मांगने वाले व्यक्ति को चाहिए होंगे कौन से दस्तावेज?
1 पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश सरकार द्वारा जारी पासपोर्ट की कॉपी.
2 भारत में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (FRRO) या विदेशी पंजीकरण अधिकारी (FRO) की ओर से जारी किया गया रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट या आवास परमिट.
3 पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश में स्कूल, कॉलेज, शिक्षा बोर्ड या विश्वविद्यालय की ओर से जारी किया गया प्रमाण पत्र या कोई अन्य शैक्षणिक  प्रमाण पत्र.
4 पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश की सरकार या इन देशों के किसी अन्य सरकारी निकाय या सरकारी एजेंसियों की ओर से जारी कोई भी पहचान दस्तावेज.
5 पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश के सरकारी अथॉरिटी की ओर से जारी कोई भी लाइसेंस या प्रमाण पत्र.
6 पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश में भूमि या किरायेदारी से से संबंधित दस्तावेज.
7 ऐसे दस्तावेज जो यह साबित करें कि आवेदक के माता-पिता, दादा-दादी या परदादा-परदादी में से कोई एक पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश का नागरिक है या था.
8 पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश की सरकारी अथॉरिटी या सरकारी एजेंसी की ओर से जारी कोई अन्य दस्तावेज जो यह साबित करता हो कि आवेदक पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश का नागरिक है.
9 आवेदकों को स्थानीय रूप से प्रतिष्ठित सामुदायिक संस्थान द्व्रारा पात्रता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा जो पुष्टि करता हो कि वह हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय से संबंधित है और उपर्युक्त समुदाय का सदस्य बना हुआ है.

ये भी पढ़ें- CAA: क्या हैं सीएए के प्रावधान, कैसे बदल जाएंगे इससे नागरिकता पाने के तरीके? जानें सबकुछ

क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
ये कानून किसी को भी नागरिकता से वंचित नहीं करता न ही यह किसी को नागरिकता देता है. यह केवल उन लोगों की श्रेणी को संशोधित करता है, जो (नागरिकता के लिए) आवेदन कर सकते हैं. यह ऐसा उन्हें (आवेदन करने वालों को) “अवैध प्रवासी” की परिभाषा से छूट देकर करता है- “कोई भी व्यक्ति जो कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय से संबंधित है और अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से है, जो कि भारत में 31 दिसंबर, 2014 को या इससे पहले प्रवेश कर गया है और जिसे केंद्र सरकार के द्वारा या पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 की धारा 3 की उपधारा (2) के खंड (स) या विदेशी अधिनियम, 1946 के प्रावधानों के आवेदन या उसके अंतर्गत किसी नियम या आदेश के तहत छूट दी गई हो.

इस छूट के लिए कानूनी ढांचा 2015 में गृह मंत्रालय द्वारा जारी दो अधिसूचनाओं में पाया जाता है.
यह अधिसूचना केवल उन्हीं लोगों को छूट देती है जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई हैं, अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से हैं और अगर वे भारत में 31 दिसंबर, 2014 से पहले धार्मिक उत्पीड़न की आशंका से भारत में प्रवेश कर गए थे.

क्या करेगा नागरिकता का कानून?
ये कानून उन्हें खुद ब खुद नागरिकता नहीं देता बस उन्हें इसके आवेदन के लिए योग्य बनाता है. उन्हें ये दिखाना होगा कि वो भारत में पांच साल रह चुके हैं, ये साबित करना होगा कि वो भारत में 31 दिसंबर 2014 से पहले आए हैं. ये साबित करना होगा कि वो अपने देशों से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भागकर अपने देशों से आए हैं. वो उन भाषाओं को बोलते हैं जो संविधान की आठवीं अनुसूची में है और नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को पूरा करते हों. इसी के जरिए वो आवेदन के पात्र होंगे. उसके बाद ये भारत सरकार पर होगा कि वो उन्हें नागरिकता दे या नहीं.

Tags: 2024 Lok Sabha Elections, CAA, CAA Law, CAA-NRC, Citizenship Amendment Act, Modi government



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