मुगल शासक औरंगजेब की दो बहनें थीं. जहांआरा बेगम और रोशनआरा बेगम. सगी बहन होने के बावजूद दोनों के बीच कट्टर दुश्मनी थी. इसकी वजह मुगल सल्तनत की गद्दी थी. जब शाहजहां के बेटों औरंगजेब और दारा शिकोह के बीच मुगल सल्तनत की गद्दी के लिए लड़ाई शुरू हुई तो बड़ी बहन जहांआरा बेगम ने दारा शिकोह का साथ दिया, जबकि छोटी बहन रोशनआरा ने औरंगजेब का पक्ष लिया.
बड़ी बहन से क्यों चिढ़ता था औरंगजेब?
इतिहासकारों के मुताबिक शाहजहां को अपने बड़े बेटे दारा शिकोह और बड़ी बेटी जहांआरा बेगम से कहीं ज्यादा लगाव था, इसीलिए औरंगज़ेब इन दोनों को बहुत नापसंद करता था. पिता और बड़े भाई को रास्ते से हटाकर गद्दी हथियाने की योजना बनाई. शाहजहां को औरंगजेब के मंसूबों की भनक लग गई. इसीलिए एक मौके पर शाहजहां ने उसे दिल्ली बुलवाया. योजना थी कि उसे कैदखाने में डाल दिया जाएगा, लेकिन शाहजहां की इस प्लान की खबर रोशनआरा बेगम को लग गई और उसने औरंगजेब को सतर्क कर दिया. औरंगजेब दिल्ली नहीं आया. बाद में उसने अपने पिता शाहजहां को कैद कर आगरा के किले में बंद कर दिया, जबकि भाई दारा शिकोह का कत्ल कर दिया.
चूंकि औरंगजेब की ताजपोशी में रोशनआरा बेगम बहुत बड़ा योगदान था, इसलिए जब औरंगज़ेब ने सत्ता संभाली तो रोशनआरा को बेतहाशा अधिकार दिए. उन्हें मुगल सेना का मनसबदार नियुक्त कर दिया गया. एक तरीके से पूरी मुगल सेना, शहजादी के अधीन काम करने लगी और वो बहुत ताकतवर बन गईं. रोशनआरा बेगम अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर थीं. उनका ज्यादा वक्त हरम में ही बीतता था. एक तरीके से हरम की सर्वेसर्वा रोशनआरा बेगम ही थीं.
लाल किले में मुगल हरम का हिस्सा.
हरम में चोरी से घुसा युवक
अनीशा शेखर मुखर्जी अपनी किताब ‘द रेड फोर्ट ऑफ शाहजहानाबाद: एन आर्किटेक्चरल हिस्ट्री’ (The Red Fort of Shahjahanabad: An Architectural History) में लिखती हैं कि हरम वह हिस्सा था जहां किसी बाहरी को जाने की इजाजत नहीं थी. ऐसा दो वजह से था. पहला तो राजा की सुरक्षा के लिए और दूसरा हरम में रहने वाली महिलाओं का किसी बाहरी पुरुष से संबंध न बन जाए इसलिये. हालांकि तमाम बंदिशों के बावजूद कुछ पुरुष मुगल हरम में चोरी-चुपके घुस जाया करते थे.
प्रेमी को हरम में छिपाकर रखा
उन दिनों औरंगजेब की छोटी बहन रोशनआरा का दिल एक शख्स पर आ गया. कड़ी सुरक्षा के बावजूद वह शख्स हरम के कुछ कर्मचारियों की मदद से चोरी-छिपे रोशनआरा बेगम तक पहुंच गया. राजकुमारी ने उस युवक को कई दिन तक अपने पास हरम में छिपा कर रखा और फिर एक दिन उसे महल से बाहर निकालने का फैसला किया. इसकी जिम्मेदारी अपने करीबी सेविकाओं को सौंपी.
रोशनआरा बेगम की निजी सेविकाओं ने राजकुमारी से वादा किया कि वह युवक को रात के अंधेरे में सही-सलामत किले के बाहर छोड़ आएंगी, लेकिन उन सेविकाओं ने महल के अंदरूनी हिस्से में ही युवक को अकेला छोड़ दिया और भाग खड़ी हुईं. उन्हें डर था कि कोई देख लेगा और पकड़े जाने पर मारी जाएंगी. सेविकाओं के भाग जाने पर वह युवक बुरी तरह डर गया और पूरी रात यहां-वहां किले से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढता रहा और सुबह हरम के करीब गार्डन में बेसुध पाया गया.
औरंगजेब को पता लगा तो क्या किया?
हरम के करीब एक अनजान युवक का मिलना बहुत बड़ी घटना थी. फौरन सैनिकों ने उस युवक को पकड़ लिया. फिर औरंगजेब (Aurangzeb) के सामने पेश किया गया. युवक को पता था कि अगर उसने शाही हरम में घुसने की बात स्वीकार की तो मार जाएगा, इसलिए उसने झूठ बोला और कहा कि वह नदी किनारे से किले की दीवार पर चढ़ गया और शाही महल तक पहुंचना चाहता था, लेकिन औरंगजेब को उसकी बात पर भरोसा नहीं हुआ.
औरंगजेब (Aurangzeb) ने उसको आदेश दिया कि जिस तरीके से किले के अंदर घुसा था उसी तरीके से नीचे उतरे. युवक को दीवार पर ले जाया गया. वह ऐसा कर पाता, इससे पहले ही हरम के हिजड़ों ने उसे 60 फीट ऊंची दीवार से नदी में फेंक दिया. अनीशा शेखर मुखर्जी लिखती हैं कि उस युवक का क्या हुआ इसके बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता है, लेकिन इस बात की कम संभावना है कि इतनी ऊंचाई से फेकें जाने पर वह जिंदा बचा होगा!
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FIRST PUBLISHED : March 19, 2024, 09:37 IST