रिपोर्ट-नीरज कुमार
बेगूसराय. नवजात शिशुओं के बेहतरीन इलाज के लिए अब बेगूसराय में भी बड़ी सुविधा मिल गयी है. यहां एक शिशु अस्पताल खोला गया है. इसमें बड़ी तादाद में नवजात बच्चों और प्रसूताओं को अच्छा इलाज दिया जा रहा है. खास बात ये है इस अस्पताल में अभी स्टाफ की कमी है बावजूद इसके अस्पताल अब तक कई शिशुओं और उनकी मां की जान बचा चुका है.
बिहार में नवजात शिशु की मृत्यु दर कम करने के लिए सरकारी अस्पतालों में एसएनसीयू और एमआईसीयू की सुविधा दी गई है. राजधानी पटना से 110 किमी दूर बेगूसराय में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के सौजन्य से सदर अस्पताल में 50 बेड का शिशु अस्पताल शुरू किया गया है. ये बिहार का सबसे बड़ा चिल्ड्रन हॉस्पिटल है. यहां पूरे बिहार से आने वाली महिलाओं की नॉर्मल और क्रिटिकल सिजेरियन डिलीवरी करवायी जा रहा है. इस अस्पताल बिल्डिंग में ओपीडी, स्पेशल न्यू बोर्न बेबी केअर यूनिट, एसएसीयू, शिशु वार्ड ओटी की आधुनिक सुविधाएं दी गई हैं.
20 दिन में 10 बच्चों की जान बचाई
बेगूसराय सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. कृष्ण कुमार ने लोकल 18 को बताया यहां 14 बेड का एसएनसीयू है. साथ ही 4 डेडीकेटेड वेंटिलेटर और 2 सीपेप उपकरण भी मौजूद हैं. दिल्ली AIIMS की तर्ज पर सरफेक्टम थैरेपी से भी बच्चों की जान बचाई जाती है. इस थैरेपी की सुविधा अब तक पटना AIIMS में भी शुरू नहीं हुई है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार ने इस थैरेपी पर काम कर मात्र 20 दिन में10 बच्चों की जान बचाई. सरफेक्टमथेरेपी की यह एक बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है.
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स्टाफ की कमी फिर भी मिसाल
अस्पताल के सूत्र बताते हैं सदर अस्पताल में बच्चों के इलाज के लिए अभी सिर्फ एक डॉ. कृष्ण कुमार पदस्थ हैं. यहां नर्स से लेकर अन्य मेडिकल स्टाफ की कमी है. पोर्टेबल एक्स-रे से लेकर पीआईसीयू में भी ढेर सारे आधुनिक उपकरण अस्पताल में हैं लेकिन इसे ऑपरेट करने के लिए स्टाफ नहीं है. बावजूद बिहार के विभिन्न जिलों से आने वाले क्रिटिकल कंडीशन बच्चों की जान बचाई जा रही है.
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FIRST PUBLISHED : March 21, 2024, 15:29 IST